Book Title: Mahavir Chariyam
Author(s): Nayvardhanvijay
Publisher: Ahmedabad Paldi Merchant Society Jain Sangh

View full book text
Previous | Next

Page 626
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra श्रीगुणचंद महावीरच ० ८ प्रस्तावः ॥ ३०६ ॥ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रूया संपत्तजोषणावि तहः विहवराभावेण कालं वोलेइ, इओ य तीए नयरीए अदूरे उच्छलंतमहलकल्लोलविदलिय - | कूलाए अणेगविहगकुलकलयला उलदियंतराए जमुषामहानईए उत्तरपुरत्थिमदिसिविभागे वेयपुराणभारहरामा - यणवक्खाणनाणविन्नाणनिउणो नियदरिसणत्थवित्थारणपवणो सवत्थ विक्खायजसो नीसेसभागवयमुपहाणो सुहंकरो नाम लोइयतवस्सी परिवसइ, सो य तवेण य वयणसोहग्गेण भविस्सजाणणेण य जणसम्मयत्तेण य सयलस्सवि नयरजणस्स वाढं पूयणिज्जो, अन्नया य तेण सोमदत्तसेट्ठिणा गुणगणावजियहियएण निमंतिओ सो भोयणकरणत्थं नियमंदिरे, गाढतवयणाणुरोहेण य कइवयसिस्स परियरिओ संपत्तो भोयणसमर्थमि, सपरियणेण परमभत्तीए नर्मसिओ सोमदत्तेण, सम्मज्जिवलित्तंमि भवणभागंमि दवावियं से आसणं, तहिं च निसन्नो एसो, सेट्ठिएहिं कथं परमायरेण चलणपक्खालणं, अणेगकलहोय मयकचोलसिप्पिसंकुलं च पट्ठियं पुरओ परिमलं, सेट्ठी य सयमेव निव्भरभत्तिभरतरलियचित्तो नाणाविहवंजणसणाहं पउरखंडखज्जयाइमणहरं रसवई परिवेसिउं पवत्तो, सावि सेट्ठि - धूया देवसिरी रणंतमणिनेउरारावमुहलियदिसावगासा हारद्धहारकुंडलकडयअंगयरसणापमुहाभरणभूसियसरीरा निसियपवरपट्टणुग्गयदिच चीणंसुया कणयदंडतालविंटमादाय तस्स भोयणं कुर्णतस्स वीजणत्थमुट्ठिया, एत्थंतरे साहिलासं तं पलोइऊण सुहंकरतबस्सी तक्कालवियंभमाणमयणहुयवह पलित्तहियओ विभाविउमारद्धो । कहूं ? - सुसहा पन्नगपम्मुक्कफारफों कारजलणजालोली । उन्भडकोदंड विक्खित्ततिक्खनारायराईवि ॥ १ ॥ For Private and Personal Use Only तुर्येऽणुव्रते सुरेन्द्रद्ताख्याने शुभंकरवृत्तं. ॥ ३०६ ॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696