Book Title: Mahavir Chariyam
Author(s): Nayvardhanvijay
Publisher: Ahmedabad Paldi Merchant Society Jain Sangh

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Page 655
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir तेहिं भणियं-देव ! जद एवं ता नगरस्स वाहिं विदेसियसालासु य पवामंडवसु य देवमंदिरेसु य पहियसमूहमीलगेसु य तवस्सिजणासमेसु य निरूवेह पुरिसे, पुच्छावेसु य तन्निवासिलोयं विवरपूरणोवायं, जइ पुण तेहितो ४ कोइ कपि उवायं कहेजा, राइणा भणियं-साहु जंपियं, बहुरयणा वसुंधरा, किमिह न संभविज्जत्ति अणुमन्निऊण दातचयणं जहाभणियं सबढाणेसु विसजिया पुरिसा, ते य जहाभणियविहीए समारद्धा पुच्छिउं । का इओ य सो कोरिटंगकावालिओ इओ तओ देसंतरेसु परिभमंतो मंततंतोसहीसंगहं कुणंतो धाउवायखन्नवायपमुहदबोवजणोवायं परिचिंतंतो समागओ तमेव पुरं, ठिओ देसियसालाए, सबप्पयारेहिं अपुबुत्तिकाऊण सविणयं पुच्छिओ सरोवरविवरपूरणोवायं रायपुरिसेहि, एत्यंतरंमि तेणं नियविनाणावलेवनडिएण । भणियं साहंकार कित्तियमेत्तं इमं मज्झ? ॥१॥ रायपुरिसेहिं कहियं-जइ एवं एहि ता नरिंदपुरो । पयडसु नियविन्नाणं लहसु पसिद्धिं धरावलए ॥ २॥ एवं च सो वुत्तो समाणो अपणो विन्नाणेण तिहुयणंपि तणं व मन्नतो पढिओ तेहिं समं रायउलं, कमेण य पत्तो दअत्थाणमंडवं, मुणित्तिकाऊण पणमिओ राइणा, दवावियं आसणं, निसन्नो एसो, पत्यावे य पुरिसेहिं निवेइओ रनो तदब्भुवगमो, तओ हरिसवियसियच्छेण भणिओ रना एसो-भो रिसिवर! करेसु पसायं, पणासेसु सरोवरस्स विवरं जेण तण्हापरिसुसियसरीरो चउपिहोवि भूयग्गामो सुहेण सबकालं जहिच्छाए जलपाणं कुणइत्ति, कोरि-18| SABADMASANNA ACAAKASAKAL For Private and Personal Use Only

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