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दृष्टि
संयम
१. सैक्स का संयम हानिकारक है। १. अनियन्त्रित सैक्स न केवल शारीरिक
रोग लाता है अपितु मानसिक
विक्षिप्तता भी लाता है। २. सैक्स का नियंत्रण संभव नहीं है। २. सैक्स के नियन्त्रण की एक विधि
__है, जिसे जान लेने पर सैक्स का
नियन्त्रण सम्भव है। ३. भोग सुख देता है।
३. भोग ऊर्जा का व्यय करता है। ४. ब्रह्मचर्य का जीवन दुःखपूर्ण है। ४. अब्रह्म का सेवन हमारा सन्तुलन
बिगाड़ता है। ५. वीतरागता विरसता लाती है। ५. आसक्ति भोगों में भी बाधक है। ६. इच्छा की पूर्ति में सुख है। ६. इच्छा में विवेक करना आवश्यक
७. दमन अहितकर है।
८. भोजन शक्ति बढ़ाता है। ६. तप कष्टकर है। १०. इन्द्रियाँ सुख का साधन है। ११. यौवन का अर्थ है-शक्ति ।
७. भोग हमारे मनोबल को क्षीण करता
है। ८. अतिभोजन रोग का घर है। ६. विलासिता दुर्बल बनाती है। १०. वास्तविक सुख अतीन्द्रिय है। ११. यौवन का अर्थ है-शरीर का
लचीलापन और बुद्धि की ग्रहणशीलता।
पर्यावरण १. जड़ और चेतन का परस्पर कोई १. मुक्त-चेतना को छोड़कर शेष सभी संबंध नहीं।
स्थितियों में जड़ और चेतन एक
दूसरे को प्रभावित कर रहे हैं। २. प्रकृति हमारी भोग्या है। २. अस्तित्व में प्रकृति, वनस्पति और
पशु का भी उसी प्रकार महत्त्व है
जिस प्रकार हमारा। ३. पर्यावरण को हम शुद्ध कर सकते ३. पर्यावरण की शुद्धि की प्रक्रिया
प्रकृति में स्वतः चलती है। हम उसमें हस्तक्षेप करते हैं तो वह व्यवस्था गड़बड़ा जाती है।
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