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८. वर्णाश्रम व्यवस्था सर्वोत्तम है।
६. उत्पादन का प्रयोजन लाभ कमाना है ।
१०. शिक्षा का उद्देश्य मनुष्य को नौकरी दिलाना है।
११. अभाव पीड़ा का कारण है।
१२. अभाव दुःख का कारण है।
१३. परिग्रह जितना अधिक हो, उतना
अच्छा।
१४. समाजवादी व्यवस्था सर्वोपकारी है।
१५. विकास का अर्थ है- पूरे विश्व में उत्पन्न होने वाले उत्तम पदार्थों का संग्रह और भोग ।
१६. परिग्रह सम्मान का कारण है। १७. सभी स्वार्थी हैं ।
१८. अधिक लोगों के सुख के लिए थोड़ों का सुख छोड़ा जा सकता है ।
१६. भोग की अधिक से अधिक सामग्री बाजार में लानी चाहिए ।
२०. धन ही सब कुछ है ।
के लिए केन्द्रीकृत अर्थव्यवस्था आवश्यक है ।
२१. विकास
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८.
महाप्रज्ञ-दर्शन
वर्ण-व्यवस्था के अन्तर्गत ऊंच-नीच के भेदभाव ने मनुष्य को अपमानित किया है ।
६. उत्पादन मनुष्य के हित को केन्द्र में रखकर होना चाहिए ।
१०. शिक्षा का उद्देश्य मनुष्य को सुसंस्कृत बनाना है।
११. केवल अभाव ही नहीं, अक्षमता भी पीड़ा का कारण है ।
१२. अभाव ही नहीं, अतिभाव भी दुःख का कारण है ।
१३. परिग्रह व त्याग के बीच सन्तुलन होना चाहिए ।
१४. समाजवादी राष्ट्र भी घातक शस्त्रों की होड़ में किसी से पीछे नहीं रहे।
१५. स्वदेशी और स्वावलम्बन राष्ट्रीय स्तर पर शोषण को रोकने का उपाय है।
१६. सम्मान का कारण है- चरित्र । १७. बृहत्तर स्वार्थ ही सच्चा स्वार्थ है ।
बृहत्तर स्वार्थ का अर्थ है - ऐसा स्वार्थ जो परार्थ का विरोधी नहीं है ।
१८. सभी समान हैं। किसी का सुख किसी दूसरे के सुख के लिए छीना नहीं जा सकता ।
१६. वरीयता मनुष्य की प्राथमिक आवश्यकताओं को देनी चाहिए। २०. ज्ञान, आत्म-सम्मान और सेवा का भी महत्त्व है ।
२१ कर्मचारियों के संतोष के लिए विकेन्द्रीकरण आवश्यक है।
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