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महाप्रज्ञ-दर्शन ४. संसार के काम बिना बेईमानी के ४. अन्ततोगत्वा बेईमानी से होने वाले सिद्ध नहीं होते।
लाभ की अपेक्षा बेईमानी से होने वाली हानि कई गुणा अधिक होती
५. मोक्ष की साधना कुछ गिने-चुने ५. मोक्ष हम सबका जन्मसिद्ध अधिकार ___ लोगों के लिए है। ६. धर्म उनके लिए है जिन्होंने संसार ६. धर्म संसारी पुरुषों के लिए भी . छोड़ दिया है।
आवश्यक है। ७. अध्यात्म एक हवाई चीज है, ठोस ७. अध्यात्म के बिना समाज-सेवा बिना ___ है समाज-सेवा।
जड़ की बेल है। ८. हम सामान्य व्यक्ति हैं, सन्त नहीं। ८. क्रोध, मान, माया और लोभ भले
हमारा कार्य क्रोध, मान, माया और कितने भी आवश्यक लगें, किंतु वे
लोभ के बिना नहीं चल सकता। सत्य को ढकते ही हैं। ६. आत्मज्ञान एक रहस्यमय चीज है। ६. मैं स्वयं आत्मा हूँ। अपने को जानना
ही आत्मज्ञान है। १०. भोगोपभोग के पदार्थ हमें सुख देते १०. यदि हमारा मन अशान्त है तो हमें
कोई भी पदार्थ सुख नहीं दे
सकता। ११. आत्मज्ञान के लिए शरीर के परे ११. आत्मा को जानने के लिए सबसे जाना होगा।
पहले शरीर को जानना होगा। १२. शरीर अलग है, मन अलग है। १२.मन के विकार ही शरीर में रोग
क्रोध मन में आता है; कैंसर शरीर रूप में परिणत होते हैं। में होता है। इन दोनों का आपस
में कोई संबंध नहीं है। १३. नास्तिक वह है जो ईश्वर को नहीं १३. नास्तिक वह है जो यह मानता है मानता।
कि वह बुरा काम करके उसके
फल से बच सकता है। १४. शरीर का मुख्य घटक परमाणु है, १४.शरीर में मुख्य स्थान स्पन्दन का उन्हीं से शरीर का निर्माण होता है, ये स्पन्दन ही हमारी मनःस्थिति
और शरीर की स्थिति का निर्धारण करते हैं।
है।
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