Book Title: Madhyam Siddh Prabha Vyakaranam
Author(s): Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
View full book text
________________ ताभ्यां वाप डित् अनो बहुव्रीहेमनश्च / सीमानौ सीमे, बहुराजे बहुराज्यौ // 20 // ड्यादीदूतः / के ह्रस्वः // 21 / / न काचि // 22 / / नवाऽऽपः // 23 // इच्चापुंसोऽनित्क्याप्परे / आप्परेऽनिरिक अपसा ह्रस्व इश्च, खट्विका खट्वका खट्वाका // 23 // स्वज्ञाजभनाधातुत्ययकात् / धातुत्यवर्जयकान्तात्स्वादेश्चानित्क्याप्परे इर्वा पक्षे च ह्रस्वः, स्विका स्वका मूषकिका मूषकका / / 24 / / च्येषसूतपुत्रवृन्दारकस्येषु द्विके द्वके / वौ वत्तिका // 25 / / अस्यायत्तत्क्षिपकादीनामिः / कारिका / नरिका मामिका / तारका ज्योतिषि, वर्णका तान्तव, अष्टका पितृदेवत्ये // 26 // गौरादिभ्यो ङीः / स्त्रियां, गौरी अमरी सुन्दरी दासी पुत्री मनुषी बदरी अतसी हरितकी शमी नदी / / 27 / / वयस्थनन्त्ये डोः / कुमारी वधूटी // 28 // परिमाणात्तद्धितलुकि. डीद्विगोरतः / द्वाभ्यां कुडवाभ्यां क्रीना द्विकुडवी // 29 / / काण्डात्क्षेत्रे / द्विकाण्डी / // 30 / / पुरुषाद्वा / द्विपुरुषी // 31 // रेवतरोहिणाद्धे / रेवती रोहिणी // 32 // नीलात्प्राव्योषध्योः / क्ताच्च नाम्नि वा डीः चान्नीलात्, नीला नीली प्रवृद्धविलूनी प्रवृद्धविलूना // 33 // केवलमामकभागधेयपापापरसमानार्यकृतसुमंगलभेषजात् नाम्नि
![](https://s3.us-east-2.wasabisys.com/jainqq-hq/72858b4d0602d38ad32b672bb845044dd17b5d9d11556055f5610dd38ec639aa.jpg)
Page Navigation
1 ... 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134