Book Title: Madhyam Siddh Prabha Vyakaranam
Author(s): Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ 123 . / / 142 / / उदः पचिपतिपदिमदेः / उन्मदिष्णुः / / 143 // स्थाग्लाम्लापचिपरिमृजिक्षेः स्नुः / स्थास्नुर्यशो वीरस्य / मृजौष शुद्धौ, मुजोऽस्य वृद्धिः, परिमाणुः // 144 // त्रसिगृधिधषिक्षिपः क्नुः / अिधुषा प्रागल्भ्ये, धृष्णुः, त्रसै भये, त्रस्नुः / / 145 / / सन्भिक्षाशंसेरु: / चिकीर्षुः भिक्षुः आशंसुः // 146 / / दाटधेसिशदसदो रुः / षिञ् बन्धने, सेरुः / / 147 / / शीङ्श्रद्धानिद्रातन्द्रादयिपतिगृहिस्पृहेरालुः। स्पृहयालुः।१४८। सनिचक्रिदधिजज्ञिनेमिः // 149 // शकमगमहनवृषभूस्थ उकण / उपस्थायुको गुरुं // 150 / / लषपतपदः / उपपादुकः / . // 151 // भूषाकोधार्थजुसगृधिज्वलशुचश्चानः / मण्डनः कोपनः / / 152 / / इङितो व्यंजनाधन्तात् / वर्धनः जुगुप्सनः // 153 // यजिजपिदंशिवदादूको यङन्तात् / वावदूकः / / 154 // शमष्टकाद् धिनण / क्लमी / / 155 // युजभुजभजत्यजरंजद्विषदुषहदुहाभ्याहनः / योगी त्यागी द्रोही // 156 // मथलपः / प्रलापी // 157 // विपरिप्रात्सर्तेः / प्रसारी / 158 / संपरिव्यनुप्राद्वदः / प्रवादी // 159 / / व्यपाभेर्लषः // 160 // संप्राहसः / / 161 // समत्यपाभिव्यभेश्वरः। व्यभिचारी / / 162 / / निन्दहिसक्तिशखादविनाशिव्या
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