Book Title: Madhyam Siddh Prabha Vyakaranam
Author(s): Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
View full book text
________________ 125 . युवर्णवृवशरणगमृद्ग्रहः / तरः जयः स्तवः // 185 / / समुदोऽजः पशौ / समजः // 186 // समदप्रमदौहर्षे // 187 / / निघोद्घसंघोद्घनापघनोपघ्नं निमित्तप्रशस्तगणात्याधानाङ्गासन्नम् / / 188 // मूर्तिनिचिताभ्रे घनः // 189 / / परे? हनः // 190 / / परेर्धाङ्कयोगे। रो लो वा // 191 / / निपाने युधि चाहवः / / 192 // हनो वा वध् च / वधः घातः // 193 // वर्षविघ्नेऽवाद्ग्रहो वा / अवग्रहः / . // 194 / / प्रादश्मितुलासूत्रे वा / प्ररहः / 195 / युपुद्रोर्घञ् / संयावः // 196 // नियश्चानुपसर्गाद्वा / नयः नायः // 197 // भुवोऽवज्ञाने वा / परेः, परिभावः परभवः // 198 / / इणोऽभ्रेशे नेः / न्यायः / / 199 // परेः क्रमे। पर्याय: / / 200 // चितिदेहामासोपसमाधाने / कश्चादेश्चेः, काय: / / 2011 / स्थादिभ्यः कः / प्रस्थः संस्था व्यवस्था प्रपा विधः विघ्नं आयुधं आढयः / 202 / ट्वितोऽथुः / नन्दथुः क्षवथुः क्षवः // 203 // ड्वितस्त्रिमा तत्कृते / पाकेन कृतं पवित्रमं कृत्रिमं // 204 // यजिस्वपिरक्षियतिप्रच्छो नः / प्रश्नः // 205 / / उपसर्गादः किः / प्रधिः निधिः // 206 // व्याप्यादाधारे / उदकं धीयतेऽस्मिनित्युदधिः // 207 // स्त्रियां क्ति र्भावाकोंः / भूतिः // 208 // वादिभ्यः / श्रुतिः स्तुतिः पत्तिः वित्तिः
![](https://s3.us-east-2.wasabisys.com/jainqq-hq/97bb9c30bae41aff5050c5406ba617124d1dd409fc45252cb94b45dcd5049d9c.jpg)
Page Navigation
1 ... 128 129 130 131 132 133 134