Book Title: Madhyam Siddh Prabha Vyakaranam
Author(s): Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 131
________________ लब्धिः शस्ति: / पक्तिः // 209 / / आस्यटिव्रज्यजः / क्यप, आस्या व्रज्या // 210 / / समजनिपनिषदशोसुगविदिचरिमनीणः / क्यप्, निषद्या शय्या सुत्या चर्या इत्या // 11 // कृगः श च वा / क्रिया कृत्याः कृतिः / 212 / मृगयेच्छायाञ्चातृष्णाकृपाभाश्रद्धान्तर्धाः // 213 / / परे. सृचरेर्यः / परिसर्या // 214 // शंसिप्रत्ययादः / प्रशंसा गोपाया चिकीर्षा / / 215 / / क्तटो गुरोर्व्यञ्जनात् / क्तेड्वद्गुरुमतो व्यञ्जनान्तादः, ईहा उक्षा शिक्षा / / 216 // षितोऽङ् / क्षमा जरा // 217 / / भिदादयः / भिदा छिदा विदा दया पृच्छा कारा धारा तारा गुहा वशा तुला क्षपा // 218 / / उपसर्गादातोऽऽङ् / उपदा संधा' प्रभा // 219 // णिवेत्त्यासश्रन्थघट्टवन्देरनः / कारणा वेदना वंदना // 220 // क्रुत्संपदादिभ्यः / क्विप्, क्रुत् क्षुत् त्विट् रुक् शुक् मुद् भृत् गिर् स्रक् विपद् संसद् समित् / // 221 // भ्यादिभ्यो वा / क्विप् पक्षे क्तिः, भी: ह्रीः भिद् छिद् दृश् / / 222 / / जनोऽनि शापे / अजननिः / / 223 // ग्लाहाच्यः / हानिः // 224 // पर्यायाहणोत्पत्तौ च णकः / भवतः शायिका, अर्हति भक्षिका, उदपादि भक्षिका, चात्प्रश्नाख्याने // 225 / / क्लीबे क्तः / हसितं / / 226 / / अनट् / क्लीबे, गमनं / 227 / रम्यादिभ्य कर्तर्यनट् / कमनः व्रश्चनः // 228 // भुजि

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