Book Title: Madhyam Siddh Prabha Vyakaranam
Author(s): Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 129
________________ 124 भाषासूयानेकस्वराद् णकः / हिंसक: खादकः चकासक: // 163 // वृद्धिक्षिलुण्टिजल्पिकुटाट्टाकः / भिक्षाकः // 164 // जीक्षिविश्रिपरिभूवमाभ्यमाव्यथ इन / जयी दरी अभ्यमी / / 165 / / मृघस्यदो मरक् / प्रसृमरः // 166 // भियो रुरुकलुकं कित्। भीलुकः // 167 / / सृजीणनशष्ट्वरप् / जित्वरः / / 168 // भजिभासिमिदो घुरः / जिमिदा स्नहने, मेदुरः / / 169 / / स्म्यजसहिसदीपकम्पकमनमो रः / जसू मोक्षणे,. अजस्रं नम्र / / 170 / / तृषिधृषिस्वपो नजिङ् / तृष्णग् / - // 11 / / स्थेश भासपिसकसो वरः। ईश्वरः // 172 / / विवप् / भा: धूः विद्युत भित् वित् छित् भूः // 173 / / इति शीले // 174 / / शंसंस्वयंविप्रान् भुवो। डुः सति, प्रभुः / / 175 / / लूधूसूखनचरसहार्तेरित्रः / अरित्रं / / 476 / / नीदावशसूयुयुजस्तुतुदसिसिचमिहपतपानहस्त्रट् / नेत्रं मेढ़पात्रं नर्ऋ / / 177 / / ज्ञानेच्छाचार्थीच्छील्यादिभ्यः / सत्यर्थे क्तः, ज्ञात: इष्टः अर्चित: सुप्तः // 178 / / पदरुजपिशस्पृशो घञ् कर्तरि / पादः // 17 / / भावाकोंर्घञ् / पचनं पच्यते यत् येन यस्मै यस्माद्यस्मिन्वेति पाक: // 180 // उद्यमो. परमौ / स्यदो जवे // 181 // घनि भावकरणे / रञ्जर्नलुक, रागः // 182 // भूयदोऽल् / प्रभवः / / 183 // संनियुपाद्यमो वा / संयमः संयामः / 184 /

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