Book Title: Madhyam Siddh Prabha Vyakaranam
Author(s): Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 97
________________ व्यञ्जनात्, चाल्लुक, अचकाः अचकाद्वा / शासू अनु. शिष्टौ, शास्ति // 34 // इसासः शासोऽव्यञ्जने किति / शिष्टः शासति / // 35 // शासस्हनः शाध्येधिजहि / हिना, शाधि अशिषत् / वच भाषणे, अवक अवोचत् ऊचतुः / विद् ज्ञाने, वेत्ति / / 36 // समो गमृच्छिप्रच्छिश्रुवित्स्वरयत्तिश आत्मने // 37 // वेत्तेर्नवाऽऽऽत्मनेऽन्तो रत् / संविद्रते संविदते / / 38 // तिवां णवः परस्मै वेत्तेर्वा विवेद // 39 // पञ्चम्याः कृग्वाऽऽम् कित् वेत्तेः // 40 // वेत्तेः किदाम् / विदांकरोतु वेत्तु अवेद् अवेः / हन हिंसागत्योः // 41 / / यमिरमिनमिगमिहमिमनिवनतितनादेधुटि / किति लुक्, हतः घ्नन्ति / // 42 / / हनो रादे! णः / प्रहति // 43 // वमि वा / प्रहण्मि प्रहन्मि // 44 // त्रिवि घन् / जघान जघ्नतुः // 45 / / हनो वध आशिष्यो / वध्यात् / / 46 / / अद्यतन्यां वा त्वात्मने / अवधीत् / अस भुवि // 47 // श्नास्त्योर्लुक् / शित्यविति, स्तः // 48 // अस्ते. सि सलुक् हस्त्वेति / असि आसित् आसन् // 48 / / अस्तिबुवो वचावशिति / बभूव / अङ्लुप अदादौ // इति अदादिः // 8 // इति परस्मैपदं // 1 //

Loading...

Page Navigation
1 ... 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134