Book Title: Madhyam Siddh Prabha Vyakaranam
Author(s): Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ 112 पूजाचार्यकभृत्युत्क्षेपज्ञानविगणनव्यये नियः / नयते स्याद्वादे, उपनयते माणवकं कर्मकरान् शिशुं तत्त्वार्थे वा, विनयते ऋणं शतं वा / // 11 // कर्तृस्थामूर्ताप्यात् / / 12 / / वृत्तिसर्गतायने / / 13 / / परोपात् वृत्त्यादौ // 14 // वेः स्वार्थे / / 15 // प्रोपादारम्भे / क्रमः / उपक्रमते, अंगीकरणेऽपि / / 16 / / नुप्रच्छ / आङः / आनुते // 17 / / गमेः क्षान्तौ / आगमयस्व // 18 // यम; स्वीकारे / / 19 / / वा स्वीकृतौ / यमः सिजनिट कित्,. उपायत उपायस्त महास्त्राणि // 20 // देवा मैत्रीसंगमपथिकर्तृकमन्त्रकरणे स्थ उपात् / उपतिष्ठते जिनेन्द्रं ऐंकारेण च वाणीं / // 21 // संविप्रावात् / प्रतिष्ठते // 22 / / जीप्सास्थेये / संशय्याभये तिष्ठते श्रेणिकः // 23 // समो गिरः प्रतिज्ञायां / संगिरते स्याद्वादं // 24 // अवात् // 25 // निह्नवे ज्ञः / शतमपजानीते // 26 // श्रुवोऽनाङ् प्रतेः / शुश्रूषते // 27 // गमो वात्मनेऽनिटिसजाज्ञिषौ / कित् / समगत समगस्त // 28 // हनः सिच / अनिट् कित्, आहत // 29 // अणिकर्मणिकर्तृकाण्णिगोऽस्मृतौ / आरोहयते हस्ती हस्तिपकान् / // 30 // वदोऽपात् / अपवदते / / इत्यात्मनेपदप्रक्रिया / /
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