Book Title: Madhyam Siddh Prabha Vyakaranam
Author(s): Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 116
________________ पटयति दवयति त्वापयति समीचयति प्रशस्ययति // 26 // वताद्भुजितन्निवृत्त्योः / व्रतयति सत्यापयति // 27 / / श्वेताश्वाश्वतरगालोडिताह्वरकस्याश्वतरेतकलुक् श्वेतयति अश्वयति गालोडयति आह्वरयति // इति नामधातवः // .. . // 1 // धातोः कण्ड्वादेर्यक् / कण्डूयति कण्डूयते कण्डूयांचकार महीङ् पूजायां / मन्तु अपराधे, मन्तूयति / वल्गु माधुर्ये / तिरस् अन्तौ / भिष्णुक उपसेवायां // 2 // कण्डवावस्तृतीयोऽशो द्विः / कण्डूयियिषति / / इति कण्डवादयः // // 1 // क्रियाव्यतिहारेऽगतिहिंसाशब्दार्थहसो हबहश्चान्योऽन्यार्थे / कर्तर्यात्मने, व्यतिपुनते व्यतिहरन्ते भारं व्यतिस्ते व्यतिषीत // .. // 1 // निविशः कर्तर्यात्मने / न्यविशत // 2 // उपसर्गादस्योहो वा / उदस्यति उदस्यते / उपसर्गाहो ह्रस्वः, पर्युहति पर्युहते // 3 // उत्स्वराधुजेरयज्ञतत्पात्रे। उद्युङ्क्ते नियुक्ते // 4 // परिव्यवास्त्रियः / विक्रीणीते // 5 // परावेर्जेः / पराजयते. विजयते // 6 / / उदश्वरः साप्यात् / गुरुवचनमुच्चरते // 7 // क्रीडोऽकूजने / संक्रीडते // 8 // भूनजोऽत्राणे / भुंक्ते ओदनं // 9 // हगो गतताच्छील्ये / पैतृकमनुहरन्तेऽश्वाः // 10 //

Loading...

Page Navigation
1 ... 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134