Book Title: Madhyam Siddh Prabha Vyakaranam
Author(s): Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 123
________________ 118 निश्रावी शायी रक्षी वादी वासो . . / / 42 / / नाम्युपान्त्यप्रीकृगज्ञः कः / बुधः प्रियः गिर: ज्ञः, ज्ञाता // 43 // उपसर्गादातोडोऽश्यः / प्रज्य: सुरः / / 44 / / व्याघ्राने प्राणिनसोः // 45 // घ्राध्मापाट्धेदृशः शः / जिघ्र पिब: पश्य: उद्धयी // 46 / / वा ज्वलादिदुनीभूग्रहास्रोर्णः / दव: दाव: अस्रवः // 47 // तन्व्यधीणश्वसातः / तानः व्याध: आय: श्वासः म्लायः // 48 // नत्खन्रञ्जः शिल्पिन्यक / नर्तकः खनकः / / // 49 // अकधिनोश्च रञ्जनलुक् / रजकः / गस्थक., गाथकः / टनण, गायन: / हः कालवीह्योः, हायनः // 50 // तिक्कृतौ / नाम्नि आशिषि, शान्तिः वर्धमानः // 51 // न तिकि / दीर्घश्च, चात् लुक ग मां, यन्तिः // 52 // तौ नस्तिकि / लुगात्त्वे, सतिः साति: सन्तिः / // 53 / / कर्मणोऽण् / व्याप्याद्धातोरण, सूत्रधारः 154 / / शीलिकामिभक्ष्याचरीक्षिक्षमो णः / बहुक्षमा / / 55 // सुराशोधौ पिबष्टक / सुरापी // 56 // आतो डोऽहावामः / कर्मणः, पाणित्रं // 57 // समः / ख्यः, गोसंख्यः // 58 // दश्चाङः / प्रियाख्यः // 59 // प्राज्ज्ञश्च / चाद् दश्चडः, पथिप्रज्ञः प्रपाप्रदः स्तनप्रधायः // 60 // संपूर्वाद् घटिहनेरण / संघाट: संघात: // 61 // कुमारशीर्षाण्णिन् / कुमारघाती // 62 //

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