Book Title: Madhyam Siddh Prabha Vyakaranam
Author(s): Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ ध्यण / याव्य आनाम्यं // 21 // त्यजयजप्रवंचो न कगौ / घ्यणि, त्याज्यं याज्यं प्रवाच्यं // 22 // न्यङ्कुद्ममेघादयो / निपातात् 1123 // तव्यानीयौ / शयितव्यं शयनीयं // 24 // य एञ्चातः / अनतः स्वराद्यःआतश्चैत्, देयं जेयं // 25 / / शकितकिचतियतिशसिसहियजिभजिपवर्गाद्यः / शक्यं शस्यं तप्यं गम्यं याज्यं भाज्यं चापि // 26 // यममदगदोऽनुपसर्गात् / गद्यं // 27 // क्षय्यजय्यौ शक्तौ // 28 // क्रय्यः क्रयार्थे // 29 // वोपसर्यावधपण्यमुपेयर्तुमतोगीविक्रेये / 30 / हवृरस्तुजुषेतिशास: क्यप् / / 31 / / ह्रस्वस्य नः पित्कृति / आइत्यः अधीत्यः शिष्यः // 32 // ऋदुपान्त्यादकृपिचुदृच / वृत्यं // 33 // कृवृषिमृजिशंसिगुहिदुहिजपो वा। शस्यं गुह्यं जप्यं / / 34 // ध्यणाद्याश्च कृत्याः / // 35 // णकतचौ कर्तरि / पाचकः पक्ता // 36 // अच् धातोः / पठः // 37 // नेवाजेौं / वेता अजिता // 38 // अर्हे तृच / वोढा पदस्य, कारकः जनक: घातकः दायकः // 39 // लिहादिभ्योऽच् / लेहः शेषा सेवा मेधा भरा कन्या। ब्रुवः // 40 / / नन्धादिभ्योऽनः / नन्दनः मदनः दूषणः साधनः शोभनः रमण: कर्त्तन: तफ्नः दहनः यवनः पवनः द्धमनः सूदनः नाशनः भीषणः। // 41 // ग्रहादिभ्यो णिन / ग्राही स्थायी उत्साही
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