Book Title: Madhyam Siddh Prabha Vyakaranam
Author(s): Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ - 103 विशब्दने, अविशब्दार्थस्य घुषेरनित्यो णिच्, जुघुषुः / वञ्चि प्रलम्भने / तजि संतर्जने / वस्ति गन्धि अर्दने / शम आलोचने / तन्त्रि कुटुम्बधारणे / मन्त्रि गुप्तभाषणे / स्पशि ग्रहणश्लेषणयोः, अपस्पशत / भत्सि संतर्जने अथ अदन्ता णिच्येव / अङ्क लक्षणे / / 9 / अतोऽशिति / लुक , अङ्कयति / आङ्किकत् / सुख दुःख तक्रियायां, अल्लुकः स्थानित्वात सुखयति / अघ पापकरणे / सभाज प्रीतिसेवनयोः / दण्ड निपातने / गण संख्याने // 10 // ई च गणों के / चादः, अजीगणत् अजगणत् / यथादर्शनमन्यत्राचीकथत् / कथ वाक्यप्रबन्धे / स्तन गर्ने / ध्वन शब्दे / भाम क्रोधे / साम सान्त्वने / सूत्र सूत्रचे / मूत्र प्रश्रवणे। कुमार क्रीडायाम् / कल संख्यानगत्योः / शोल उपधारणे / रस आस्वादनस्नेहनयोः / मह पूजायां / स्पृह ईप्सायां / / इति परस्मैपदं // मृगण अन्वेषणे। अर्थङ् याचने / संग्रामङ् युद्धे // इत्यात्मनेपदं / / युज संपर्चने // 11 // युजादेर्नवा / स्वार्थे णिच , योजयति योजति / प्रीग तर्पणे // 12 // धूरप्रीगोनः णौ / प्रीणयति / धूग कम्पने, धूनयति / मार्ग अन्वेषणे / अचि पूजायां / विद भाषणे / वद संदीपने / ईर
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