Book Title: Madhyam Siddh Prabha Vyakaranam
Author(s): Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ // 4 // भ्राजभासभाषदीपपोडजीवमीलकणरणवणभणश्रणहहेट लुटलुपलपा नवा / णावुपान्त्यस्य ह्रस्वः, अपिपीडत् अपीपिडत् / तड आघाते / खुडु भेदे / कडु खण्डने च / मडु भूषायां / श्रण दाने, अशश्राणत् अशिश्रणत् / चितु स्मृत्यां / कृत संशब्दने / कृतः कीर्ति: // 5 // ऋवर्णस्य डे वा / णावुपान्त्यस्य, अचीकृतत अचिकीर्ततं / प्रथ प्रख्याने // 6 // स्मृत्वरप्रथम्रदस्तृस्पृशेरः असमानलोपे डे णौ, अपप्रथत् / छद संवरणे / बुध हिंसायां / गर्ध गायें / बन्ध संयमने, अबीबधत् / व्यय क्षये / यत्रु सङ्कोचे। श्वभ्र गतौ / तिल स्नेहने / लक्ष * शौचे / तुल उन्माने / सान्त्व सामप्रयोगे / लुष हिंसायां / रुष रोषे / पुस अभिमर्दने / पक्षि परिग्रहे / लक्षी दर्शनाङ्कनयोः // इतोऽर्थविशेषेज्ञा मारणादिनियोजनेषु // 7 / / मारणतोषणनिशाने ज्ञश्च / णिच्यणिचि णौ ह्रस्वः, जिणम्परे तु वा दीर्घः // 8 // अत्तिरीब्लीह्रीक्नयिक्ष्माय्यातां / णौ पुरन्तः, ज्ञपयति अजिज्ञपत् / चर्च अध्ययने / नवगण्युक्ता . हिंसार्थाश्च स्वार्थे ण्यन्ताः / कृत अवकल्कने / अम रोगे / भूष अलङ्कारे / अर्ह पूजायां / मोक्ष असने / घुष
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