Book Title: Madhyam Siddh Prabha Vyakaranam
Author(s): Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 93
________________ रुह जन्मनि, अरुक्षत् / रमि क्रीडायाम् / . // 5 // व्याङ् परे रमः / परस्मै, विरमति / पहि सहने // 6 // असोङसिवुसहस्सटा परिनिवेः सः षः / परिषहते // 7 // स्तुस्वञ्जश्चाटि नवा पूर्ववत्पर्यादेः, पर्यषहत पर्यसहत / / इति ज्वलादयः / / 5 / / // 6 / / भ्वादिषुयजादयः / / यजो देवपूजासंगतिकरणदानेपु, यजति अयष्ट // 1 // यजादिवशवचः सस्वरान्तस्था स्वत्पूर्वा / परोक्षायां, इयाज // 2 // यजादिवः किति परस्या। अपि य्वृत्, ईजतु: इयजिथ. इयष्ठ / व्येग तन्तुसन्ताने व्ययति व्ययते // 3 // ज्याव्येव्यधिव्यचिव्यथेरिः / पूर्वस्य, विव्याय विव्यतुः // 4 // व्यस्थववि नात्त्वं / विव्ययिथ / वेग संवरणे / / 5 / / वेर्वय् वा परोक्षायाम् / उवाय // 6 // वेरयो न वृत् / ववौ ववतुः // 7 // अविति वाऽयन्तस्य स्वृत् / वृत , सकृत , ऊवतुः // 8 // न वयो / य य्वत् ऊयतुः // 9 // य्वोः प्वयव्यञ्जने लुक् / उवयिथ उथथ / ह्वेग स्पर्धाशब्दयौः, ह्वयति ह्वयते // 10 // द्वित्वे हो स्वृत् / जुहाव जुहुवतुः / // 11 // ह्वालिप्सिचोऽद्यतन्यामङ् / आह्वत् / / 12 / / वात्मनेऽङ् हादेः / आह्वत आह्वास्त / टुवपी

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