Book Title: Madhyam Siddh Prabha Vyakaranam
Author(s): Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 49
________________ 44 रिरिष्टातस्तांदस्तादसतसाता / पश्चाद् ग्रामस्य // 77 // कर्मणि कृतः / कर्ता तीर्थस्य // 78 // द्विषो वाऽतृशः / चौरस्य चौरं वा द्विषन् / / 79 // वैकत्र द्वयोः / कर्मणोः, अजायाः अजां वा स्नुघ्नस्य स्नुघ्नं वा नेता / // 80 // कर्तरि कृतः / भवत: स्वापः // 81 / / द्विहेतोरस्त्यणकस्य / स्त्र्यणकवर्जकर्मकर्तुषष्ठीहेतोः कृतो वा कर्तरि षष्ठी, साध्वी नियुक्त्या: कृतिर्भद्रबाहोर्भद्रब टुना वा / / 82 // कृत्यस्य वा। भवतो भवता वा कार्यः / / 83 // नोभयोः / नेतव्या ग्राममजा चैत्रेण // 84 // तृन्नुदन्ताव्ययक्वस्वानातृश्शतङिणकचखलर्थस्य / नोभयहेतोः षष्ठी, श्रद्धालुस्तत्त्वं अधीयस्तत्त्वार्थं / / / 85 / / क्तयोरसदाधारे न / कटं कृतवान् // 86 // वा क्लीबेक्तस्य / नृत्तं केकिनः केकिना वा // 87 / / अकमेरुकस्य न / कर्मणि, भोगानभिलाषुकः / / 88 // एश्यणेनः / ग्रामं गमी शतं दायी // 89 // क्रियाश्रयस्याधारोऽधिकरणं सप्तम्यधिकरणे / दिवि देवा. कटे बाल: तिले तैलं वटे करी सीम्नि पुष्कलकोंऽगुल्यां करी षोढा मन्तव्यमिदम् / // 90 / / कुशलायुक्तेन / कुशलो विद्याग्रहणे

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