Book Title: Madhyam Siddh Prabha Vyakaranam
Author(s): Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 63
________________ 58 पित्रोर्डामहट् / मातामही // 51 // तदत्रास्ति. / अण, औदुम्बरो देशः / / 52 / / तेन निवृत्ते / वैश्रमणी // 53 // नद्यां मतुः / निर्वृत्ते, जाह्नवीसरयूमान् // 54 // मध्वादेः / मधुमान् / // 55 // मावर्गान्तोपान्त्यापंचमवर्गान्मतोर्मो वः / शरावती शमीवान् / / 56 // नडकुमुदवेतसमहिषाड्डित् / तद्वति देशे, महिष्मान् // 57 // नडशादाबलः // 58 // बलादेर्य / बल्यं मूल्यं कुल्यं वन्यं // 59 // उदितगुरोर्भाक्तन्दे // 60 // पुष्पतिष्यर्याभाणि यलुक् / पौषं वर्ष // 61 // चन्द्रयुक्तात्काले / पौषी // 6 // साऽस्य पौर्णमासी / पौषः // 63 // देवता साऽस्य / अर्हन्देवताऽस्याहत: जैनः // 64 // द्यावापृथिवीशुनासीराग्निषोममरुद्वद्वास्तोष्पतिगृहमेधादीययो / शुनासीरीयम् शुनासीर्यम् // 65 // वाय्वृतुपित्रुषसो यः // 66 // तद्वेत्त्यधीते / निरुक्तं वेत्त्यधीते वेति नैरुक्तः // 67 // न्यायादेरिकण् / नैयायिकः पौराणिकः प्राथमिकः / 680 पदकल्पलक्षणान्तऋत्वाख्यानाख्यायिकात् / पौर्वपदिक: मातृकल्पिक: सौलक्षणिकः राजसूयिकः प्रयंगुकः // 69 // ऋवर्गोवर्णदोसिसुस्शश्वदकस्मात्त इकस्येतो लुक् / वासवदत्तिकः / / 70 // प्रोक्तात् / सुधर्मणा प्रोक्तं सौधर्म द्वादशांमम् / / 71 // शेषे /

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