Book Title: Lokprakash Ka Samikshatmak Adhyayan Author(s): Hemlata Jain Publisher: L D Institute of Indology View full book textPage 7
________________ पर्याप्ति विमर्श पर्याप्ति और प्राण में तुलना (81) विग्रहगति में जीव अपर्याप्त संज्ञावान (82) जीवों की योनि, योनिसंख्या एवं कुल संख्या का निरूपण दृष्टि से योनि भेद (83) आकार दृष्टि से योनि भेद ( 84 ) योनि संख्या प्ररूपणा कुल संख्या प्ररूपणा भवस्थिति और कायस्थिति भवस्थिति के भेद (87) शरीर विवेचन लोकप्रकाश का समीक्षात्मक अध्ययन शरीर के भेद (90) शरीरों का स्वामित्व (95) संस्थान निरूपण समीक्षण तृतीय अध्याय : जीव विवेचन (2) अवगाहन अथवा अंगमान का प्रख्यापन समुद्घात विमर्श गति - आगति निरूपण अनन्तराप्ति और समयसिद्धि निरूपण अनन्तराप्ति और समयसिद्ध होने वाले जीव (127) लेश्या विमर्श कर्मवर्गणा निष्पन्न लेश्या ( 131 ) कर्मनिष्यन्द लेश्या (131) योग परिणाम लेश्या ( 131 ) लेश्या के प्रकार : द्रव्य लेश्या एवं भाव लेश्या (132) लेश्या का विभिन्न द्वारों से कथन ( 134 ) लेश्या एवं आभामण्डल (141) दिगाहार-निरूपण संहनन- विचार कषाय विवेचन समीक्षण चतुर्थ अध्याय : जीव विवेचन (3) संज्ञा विवेचन ज्ञान संज्ञा एवं अनुभव संज्ञा (170 ) अनुभव संज्ञा के भेद ( 171 ) दीर्घकालिकी संज्ञा (173) हेतुवाद (173) दृष्टिवाद (173) संज्ञी विषयक विचार (174) इन्द्रिय- विवेचन 78 83 88888888 86 86 87 90 158886 95 98 117 120 124 127 129 142 144 149 155 169 175Page Navigation
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