Book Title: Kundsiddhi Prarambh Author(s): Publisher: View full book textPage 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Si Kailasagarsur Gyanmandir www.kabatirth.org P./265) कर्मतस्मान समुहरेत गोश्रृंगंपोतमंडूका शंखःशुक्तिश्वकच्छपः कंबुकश्चप्रशला पर्याश्चान्यागनजातयः अंगारंवैतुषं। केशमस्थिशल्यविचारयेदिति वालुदेहज्ञानेसोमशंभी जानुनीकर्परासतदिशिवातहताशयों पैत्रीपादपुटौनायोशिरो। स्महत्येंजलिरिति इदमभीष्टभूमौनवकोष्ठेचविधायदृष्टव्य अन्येपिमूमिशोधनहाहादयःप्रकाराःस्मृत्युक्ताःअनुसं घेयाः विस्तरभयानावलिख्यते हयशीर्षपंचरात्रै मूमिनोयसमोक्तवादपणोदरसंनिभा मिति तत्प्रकारनुसकाष्टपहिचतु पुण्याहंकूर्मशेषौक्षितिमपिकसमाद्यैःसमाराध्यशुदेवारेतिथ्यांचकुर्यात्सुरपतिककुभःसाधनमंडपार्थ ५नृपौगुले समितकर्कटेनसूत्रेणवादनावरंविलियरव्यंगुलशंकुममुष्यमध्येनिवेशयेरवाक्षिमितीगुलीमिः गुलोच्चाहस्तायतामगुलविस्हतीच तत्वांतरंकालपुवकोंकाधनस्ततःपूरयसम्मृदाकुमितिमत्स्यपुगणेवराहकूमशे पौचक्षितिचैवविधाननःपूज्ययेहास्तुकार्येषु विधिनासाधकोलमेइति 5 अयशंकुसमत्वसाधनस्थूलपाचीसाधनंचोपजोतिवि परीतारव्यानिकीभ्यामाह षोडशोगुलेः परिमितेनकर्कटेनसूचेणबावृतंविलियनमध्येहादशांगुलशकुंढेमक्ष्माग्रस्थापयेत की, =शविंशत्यंगुलपरिमिताभिः॥६॥ई। For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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