Book Title: Kundsiddhi Prarambh
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kabatirth.org Acharya Shri Kallassag y armandir के.सि. सप्तपंचषद्धिकरंकुंडमितिव्यारव्या शारदायोस्कहस्तमितंकुंडलक्षहोमविधीयतेलक्षाणांदशकंयावन्नावलेनवई येन सिद्धांतशेख 14 लक्षाईत्रिकरकंडेलसहोमेचतुष्करंकुंडपंचकरप्रोक्तंदशलक्षाहुनौकमानषडलेलक्षविंशत्यांकोटाईहस्तमप्रकमिति इदमेवकुंड मानेकामिकादिमतसिद्दीतशेखरेशारदाहेमाद्रिप्रमुखेःप्राचीनःरामवाजपेयिराघवभकुंडरत्नाकरकोमुदीकारादिभिर्नवीनेश्नलिखि कैश्चिदन्यथापिकुंडमानान्मुक्तानिनानिमत्रपकरणवशाततत्कर्मविशेषेद्रष्टव्यानि ३५अथैकहलाद्दशहस्तोतयावत्कुंडेषुभुजमान। कोट्यदिग्विंशतिलक्षलक्षदलेमुनीवर्तकशानुहलम ३५वेदांक्षीणियुगामयःशशियुगान्यष्टाब्धयस्त्री पोष्टाक्षावन्हिरसारमोगमितानत्रयोक्षस्वरा:अंगुल्योथयवाःखमभ्रमिषवारंवपेचषट्मागराःसा प्लाघ्रमुनयस्त्वमीनिगदितावेदास्रकेवाहवः॥३६॥ ९गर्दूलविक्रीडितेनाहएकहलेकुंडेचतुर्विशत्यंगुलानिआ. यामविस्तारी 24 हिहस्तेचतुखिंशन ३४इमानिपादोनयूकाचतुष्टयन्यूनानिअल्पांतरखान्पूर्णान्येवतानिविहस्ते पंचयवाधिकैकचा खारिशेदंगुलानि ४१५चतुहले ष्टचत्वारिंशत् 48 पैचहस्तेपंचयवाधिकानित्रिपंचाशदंगुलानि ५३५षडस्लेपादोनैकोनषा रामे। टिपलाई सतहलेसाईविषष्टिः६॥४अष्टहलैयवानांसप्तषष्टिः६६७ नवहलेहासप्ततिः७२ // 6 // // // // 14 For Private and Personal Use Only

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