Book Title: Kundsiddhi Prarambh
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________________ www.kobatrth.org Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra कुंटी उतांकेनभक्तेलब्धं ॥३अस्पमूलपारदशहले युनगुणे५७६००००० पूर्वाकांकेनभकेलब्ध।।७३३॥ही अस्पमू 15 लंच्यायाएवमेकादशराणिनादौद्रष्टव्याअथाई चंदेइदमेवभाजकम(रुत्यभो ।यहाफलहिगुणितंकवाने नैवमा जकेनभनीचेदिष्टफलकन्यामोभवनिमयथाइफलमयुनगण॥५७०००० / / 327 // अननमतलब्ध।। 14 66|| अस्पमूल॥३॥राशयहाफलंदिरासदयुत्तनं।१५२००००।०८५४॥ // अननमोल१४॥ 6 // ॥अस्यमूलं॥३८२३॥हिहस्तं // 1952000 कले।भाजकई 20 लब्ध३३४मूले।पधारा४॥ त्रिहत फलं१७ २८००००लब्ध४४००२मूले ईराषचनुई लेफल२३०४०००० लब्धपपईमूलंही४पंचहले फलो२८८००००० लब्ध आईमूलंच्यापाषर लेफल।३४५००००गालछ५८००१४ामूलं४सनहस्ते फलो४०३२०००० लब्धा १०२०मूले१०।२रायअहलेफले।४६०८०००० लब्ध११०३४मूलं१०८।२४ानवहलेफलंग१८४००००॥१॥ लब्ध।। 13200 मूले॥११४।३दशहस्ते॥५७६०००००लब्धा१४६६४मूले १२१॥अथयोनिकुंदे। एक हस्ते फल।५७६ ०००पूर्वक्ति भाजकेनभलब्ध यंभाजकार४ात्रयमराणिनोयवरूपःसंपला५०४चाफलमप्प गणिनंग 46080000 यवरूपेणभाजकेनभलब्ध१५।१७अस्यमूलं३०१२॥अत्रसवैषुवृत्तादिकेषुकुंते For Private and Personal Use Only

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