Book Title: Kundsiddhi Prarambh
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kallassagar sur Gyanmandir हस्तमात्रखनेतिर्यगामेखलयासहेति अथपक्षातरेशारदानिलकेयावकंडस्यविस्तार रखननंतावदीरितमिनिप्रयोगसारेचतुरस्र | चतुःकोष्टंसूत्रैःकवायथापुनहितमात्रेणतन्मध्येतावनिम्नायतखनन् गणेशविमहिन्यांचतर्विशागलायामंतावरवातसमन्वित मिति पक्षवैधेतस्मनिर्देधतुविषयःथपथनितिवचनातहोमाल्पत्ववहलेपूर्वोत्तरपक्षावाश्रयणीयावितियुक्तयन औचित्यादर्थात्परिमाः समिति कात्यायनोक्ति कालांतरेवाताहाहोंगुलः कठःसर्वकुंडेखयविधिःचतुर्विंशतिमोभागःकुंडानामंगुलस्मृतिमितिस्तन्यार। भाषिकमंगुलंसर्वत्रवोधयंसोमशंभौवहिरेकीगुलः कठेडा गुलः क्वचिदागमइतितेनाद्यपक्षस्वश्रेयानवहसंमतत्वात् 47 अथ अधमामेखलैकास्पान्मध्यममेखलाइयं श्रेष्ठालिखोथवाहिविपंचखधमतादिकं // 48 // * // मिखलानामधमतादिपक्षमाहएकमेखलापक्षोधमाहिमेखलोमध्यमः त्रिमेखलःश्रेष्ठःअथपक्षांतरेधिमेखलोधमः त्रिमेखलो मध्यमापंचमेखलःश्रेयानएकमेवलोधमाधमइनिव्याख्या क्रियासारेनाभियोनिसमायकुंडश्रेष्टंत्रिमेखलंकुंडहिमेखलंमध्यनी, चस्यादेकमेखलमिनिलक्षणसंग्रह मुख्यालपंचताःप्रोक्तामध्यमालिखएवचादेस्यात्तीमधामेपलेएकास्याखधमाधमेतिसोमशे भुनाविशषउक्तः निमेश्वलहिजेकुंक्षत्रियस्याहिमेखलामेखलेकातवैश्यस्येति // 48 // // // // // // // // // // For Private and Personal Use Only

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