Book Title: Kundsiddhi Prarambh
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Page 35
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kabatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir | नवदक्षिणकोणाग्रात्पूर्वापरभुजमध्ययावन्नीयमा सवलंबासा अव्यासचतुर्थाशःभुजव्यशोभूमिः 10 / 4 / 2 / 3 सर्वत्र। अंशस्वभुजसं पातान अवमुखाभावाडूमेरई 5 / 2 / 11 इदलवेनगुणितक्षेत्रफल 4804 / 3 इदेत्रिगुणअखाणामपिफले ४४।६३दपूर्वक्षेत्रफलेस्मिन ४३२॥पाईयोजित ५७हीही इहलीक्षाचतुकंयूकाषझ्यवषट्चाधिकं अल्पातरत्वाददोषः। अथवाव्यासोयूक यान्यूनःकार्य ध्वजायसिद्दिश्चअथवा किमेनावतामयासेनालघुविकोगोयनक्षेत्रफलहादशांशस्तक्षेत्रफलमा आरएतद्वादशेगुणंपूर्णक्षेित्रफलस्यात् अथेद कुंडस्वहिविलासमात्ररचितमितिनोपेक्षणीयं यतः षट्कोणतासमभुजताक्षे अफलंचसंपद्यतएवामानाधिवेभवेझेगोमानहीनेदरिद्रतेोत्यादिदोषापतिरपिनालिअथवतयंप्राचीनक्कतकुंड विरुईत हि। दृश्यनेचप्राचीनक्कतकुंडेषुपरस्परविरुड़ता इदमेवकुंडेरामवाजपेथिभिविषमभुजमृदंगाकारलतंराघवभहादिभिःसमभुजा मिवकारितालक्ष्मणाचार्यादयोप्यन्यथैवोचुःतस्मादश्मदुक्तेनेत्ररमणीयेसमभुजेक्षेत्रफलसंवाहिनिषट्कोणविद्दभिर्नानादरेमा व्यमिति // 42 // For Private and Personal Use Only

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