Book Title: Kundsiddhi Prarambh
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kallassagar sarl Gyanmandir अथपाकुंडशार्दूलविकीडितेनाहक्षेत्रस्याष्टमांशशात अष्टमांशध्याचकृतपंचकेकतेसतितवपंचकमध्येपथमंतकर्णिकाहिती येषोडशकेसराणिहितीयंकेशरस्थानमित्यर्थःअंतिमपंचमेहतस्वस्पांगुलच्यात्मकस्पाष्टविंशेनोनितेषोडशस्थानेषुरिसुविधा दिभुतदतालेचसमन्याविभाजितस्मिन्तेपंचचिन्हारेदिशिविदिशिकर्कटेकृतसतिपरावर्तननअष्टौपत्राणिजायतेसवीनता निकेसराहीनकेसरइतरतीयचतुर्थवाणिपत्राणिचहविहनखनकर्णिकास्यजमाखनाकीदृशीनिजास्वीयआयामोविस्तारतेतु अष्टौशाञ्चयतश्चकृतशरकतत्रादिमकर्णिकायुग्मेषोडशकेशराणिचरमेखाष्टविभागोनिने भक्तेषोडश धाशगतरतेस्युःकर्कटे टौद्धदाःसर्वीस्तोखनकर्णिकात्यजनिजायोमोच्यकांस्यात्कजं // 44 // // न्यूमोच्यकंयस्याःनाकजेपनकंडेवहितमार्जननस्यादितिव्याख्याअथक्षेत्रफलानयनंतत्रीयांतिमस्पचतुर्विशत्यगुलस्पपूर्वी वक्षेत्रफल ४५॥३॥अंतिमस्तस्यरसाहीही क्षेत्रफलमा अनयोरेतराई 123 // इदंपूर्वक्षेत्रफलेयोजितेवाअंतिमवृत्त क्षेत्रफलादयवर्जितमज्जातंपूर्णफला५७४।४५यूकोनफलमायातीत्यतोनदोषः अंतिमहत्तेलियामात्रवईनेनध्वजाय प्रसादश्चातयत्रातिमहतपचारभोधभूसंग्रहाध्र्वभूत्यागश्शूहिमताप्रत्यक्षतएवापलब्धयः॥४४॥ // // // 1 // For Private and Personal Use Only

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