Book Title: Kundsiddhi Prarambh
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kabatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दशहरलेयबोनापट्सप्ततिरिति 757 चतुर्भुजेकंडेषुयाउन्नाइतिगारख्या अबोपपत्निःएकहस्तक्षेत्रस्पचतुर्विशत्यगुलामकस्पभू जाकोटिधातःक्षेत्रफलंतचषट्सप्तत्यधिकपंचशती ईएतत्पदमेकहलस्पक्षेत्रांगुलानिचतुर्विशति २४स्वक्षेत्रफलस्वधातादि गुणितस्पमूलस्त्रिंशहाद्यगुलानिभवति ३६अथयोनिनिवेशनमिंद्रवज्रयाहसेंद्रापाच्याआरभ्यकुंडत्रयीचतुरखयोनिस्तार्धरुपादा क्षिणयोनिः स्यान उतरायाअर्थादोताउदनुखाइतराणिपंचकुंडानियखिवत्तषडविपद्माष्टकोणनिपत्यग्योनानिप्रागाणिअों कंडत्रयोदक्षिणयोनिरैया सौम्यागकाश्यादितराणिपंच पश्चाङ्गगा नींद्रदिगयकाणियोनिनकोणेनचयोनिकुंडे // 37 // * // होतापामुखनवममपिकुंडंदक्षिणयोनिउदगगर्यायोनिःकोणेयोनिकुंडेचनास्तीतिव्याख्यास्वायंभुवेषागयियाम्यकुंडानापो कायोनिरुहमखीपूर्वीमुखाः स्थिताःशेषायथाशोभंव्यवस्थिताइतित्रैलोक्यसारेनवमस्यापिकंडस्पयोनिक्षलेस्थितेतिअन्यत्रा नार्पयेकुंउकोरणेषयोनितीनंत्रविनमइतियोनिकुंडेतथायोनिपानाभिविवर्जयेदिति // 37 // * // * // uji For Private and Personal Use Only

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