Book Title: Kundsiddhi Prarambh
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Page 21
________________ www.kabatirthorg Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra अविस्नुयोगपुनः अंगुलहिरिति अधमादिषुमंडपेषुदशांगुलचतुर्दशांगुलदीःिस्वचतुर्थासेनविस्थताः तेनसाईदयविसाईवयोग सायामा:वेशनार्थमधोलधुकीलेनसहिताःप्रागादिकमेणशेखचक्रगदापनचिन्हिताःकीलाःखतारणाकाष्टभवाःफलकमध्येनिधे यातोरणस्तंभेष्वपिपंचमोशननिखनन मितिव्यारत्याशारदातिलकेतिर्यकफलकमानस्यान्तंभनामईमानते इतिमंत्रमुक्तावल्पाअ अयोमध्यभागेचयदिकायोचिश्मूलकमितिपिंगलमलेनचिन्हिताःकार्याहारशाखस्तमस्तकेशूलेनवागुलदर्यतुरीयांशेनवि तिःऋजुवैमाष्टंगस्यात्किंचिहक्रतुपक्षयोःप्रथमतन्समाख्यानेगुलरोपयतत्तथाशेषाएगांगुलाहिर्वेशश्चागुलड़िता तद्देशनंदित्रियुगोगुलानिशैवेतुविश्लोर्यजमेंगुलाई कीलेषुशखारिगदोबुजाकेधिवंशरोयःकिलो इतिवास्तुशास्त्रेमलकेद्वादशांशेनशंखचक्रगदावजपागादिक्रमयोगेनन्यसेनेषोस्वदारुजमितिअन एरणेषु // 25 // हादशांशःशारखानामेवेतिकैश्चितफलकहारशासनेत्युक्तं तसतशाखापहोवफलकाहीनीमानोक्तेःशूलान्यपिस्वदान वानीतिन्याय्याशाखादिस्थानीयत्वात पंचमाशंन्यसेडूमौसर्वसाधारणविधिरिति 25 25 ॥अथमंडपवर्णनव्याजेन मंडपालेकरणमिवनमंडयकहभ्यआशिषशार्दूलविक्रीडितेनप्रयच्छति॥ // // // // // For Private and Personal Use Only

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