Book Title: Kundsiddhi Prarambh Author(s): Publisher: View full book textPage 8
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kabatirth.org Acharya Shri Kallassagarsur Gyanmandir कुंसि दरिद्रतेति शल्पज्ञानमहाकपिलपंचरावे प्रासादारंभकालेचगृहादौचविशेषतः शल्योहारनुकर्तव्योयदिछेच्छुभमान्मनः 4 प्रासादारंभकालतुयदंगस्पृश्यतेयुमान वालुदेहेदृढतत्रशल्पविद्यादिचक्षणः कंड्यतिशिर सिशिराशल्पसमुहरेशा संतत्रास्थिविनेयेरखन्यमानेकरवये अग्रिदाहश्चचरणेधनहानिश्चजायते यलेनोत्पाटयेच्छल्पेयहीछेच्छुभमात्मनःवा हकंड्यमानतुनिर्दिशेल्लोहश्रृंखला हलहयेनसतिष्टेल्लक्षणंगदितंतवं स्वामिनोमरणविद्यादिदेशगमनतथा यले नो सेकंडेयमानेतकोश्यशल्पे विनिर्दिशेत हलेनकेनसतिष्टलक्षणंगदिततव असतीचभवेझार्यायोहानिश्चजायते यले हस्ताकड़यमानेनुकंकालंचविनिर्दिशेन त्रिहतेनचनिटेवन्यमानेनचान्यथा अग्निदाहश्चरोगश्चसशल्पमरणभवेत्। दृष्टंकडूयमानेतुवाहुशल्यविनिर्दिशेत साईहरलेनसंतिनाबकार्याविचारण स्वामिनाशोभवेत्तवमावविाजायतेसती पादीकडूयमानेनुहस्तशल्यं विनिर्दिशेत साईहस्तेनसैनिशेलसणगदिततर्व गोनाशोराजदंडन्सस्सहानिश्चजायते का क्षीकंड्यमानेतुपाषाणंतत्र निर्दिशेत हलहितयमानेनल भुजंगदंशस्लत्रस्यातस्माच्छल्पसमुदत कर्णाकंडूयमानेतु। राम: भस्मतत्रविनिर्दिशेत हस्तहयेनसनिष्टेल्ला अग्निदाहोमनस्तापालेशहःखमयानिचकरोसेर्वविध॥ // 4 For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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