Book Title: Kundsiddhi Prarambh
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Page 18
________________ SM Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobaith.org Acharya Shri Kallassagarsuri Gyarmandir कं.सि. अतभापरिकाष्ठनिवेशनइंद्रवजयाह प्रथमचतुर्षभेषुवेदिकोणगेषुवालकाव्यकाष्टचतुष्टयं प्रोनेछिट्रवन्निधेयं तवपूर्वापर इयंदक्षिणोत्तरंडयंचचूडामुनिदद्यात् निय-निहितस्यकाष्ठस्पवलिकेतिसंज्ञा स्वंद्वादशस्वपिवाहोघुसभेषकर्णषुचूडासुवा। बलिकाः काष्टानिनिधेयानिततोमध्यलेभचूडानः पूर्वापरमेकंदक्षिणोत्तरमेककागचेकंकासमतयास्थापयेदिति स्वेचतुर्थ पिस्नभेषवादशकाष्ठानिभवति ततोमध्येमध्येचकाष्ठानिसकर्णकानिदेयानीतिव्याख्या 20 अथमंडपाच्छादनेरथोड़तयाह वेदि| सभेषनिर्यग्वलिकानिधेयाश्शूडासुकर्णेषथवावहिःस्थै पूर्वापरंदक्षिणसौम्यदिकस्थकोगोंतराकाष्ठचय निदध्यात 20 मध्यभागशिखररचयित्वाछादयेदपिकदैजुवेशै हावर्जमिहमंडपमेनस्तंभकानपि लगोपरिशिखराकारांरचनाकवासनमंडपंवारवर्जितं ऋजुवंशः कदैःछादयेत षोडशा ((सवस्त्रसमूहः // 21 // नपिलमानमवस्त्रसमूहेईकलादिभिश्चात्येदितिव्यारव्याकियासारेनारिकेलिदलैपिपल्लवैर्वायवेणुमि आचाद्यामंडपाःस विहारवर्जतसर्वतः वास्तुशास्त्रकदैःसद्भिस्नुसंछाद्याविजयाद्यास्तुमंडपाइति हयग्रीवपंचरात्रेदर्पणैश्चामरैर्घटैःस्नेभानवस्त्रवि राम: भूपयेदिति // 21 // For Private and Personal Use Only

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