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जंघाचारण या विद्याचारण लब्धि के अतिशय से आकाश में गमन करने वाले जीव ' को आरम्भिकी क्रिया होती है । पुलाकलब्धि वाला पुलाकसंयति किसी कारण से पुलाकलब्धि का प्रयोग करता है तो उसको आरम्भिको किया होती है । तेजोलब्धि फोड़ने वाले जोव को आरम्भिकी क्रिया होती है तथा कायिकी क्रियापंचक में से जघन्य तीन, उत्कृष्ट पाँच क्रियाएँ होती हैं ।
वैक्रिय लब्धि फोड़ने वाले जीव को आरम्भिकी क्रिया होती है तथा कायिकी क्रिया पञ्चक में से जघन्य तीन, उत्कृष्ट पाँच कियाएँ होती हैं ।
आहारकलब्धि फोड़ने वाले जीव को आरम्भिकी क्रिया होती है तथा कायिकी क्रियापञ्चक में से जघन्य तीन, उत्कृष्ट पाँच क्रियाएँ होती हैं । (देखें क्रमांक ६६-१३)
जंघाचारण, विद्याचारण, पुलाक तथा आहारकलब्धि फोड़ने वाले जीव को मिथ्यादर्शनप्रत्ययिकी क्रिया नहीं होती है क्योंकि ये जीव नियम से सम्यग्दृष्टि होते हैं ।
तेजोलब्धि तथा वैक्रियलब्धि फोड़ने वाले कोई एक जीव को मिथ्यादर्शनप्रत्ययिकी क्रिया होती है, कोई एक जीव को मिथ्यादर्शनप्रत्ययिकी क्रिया नहीं होती है ।
आगमों में मनुष्य के दैनिक जीवन के कार्यक्रमों के उदाहरण देकर आरम्भिकी क्रियापञ्चक का विवेचन किया गया है :--
(१) यदि किसी व्यक्ति की कोई वस्तु चोरी चली जाय और वह व्यक्ति उस चोरी गयी हुई वस्तु की जब तक खोज करता रहे तब तक उस व्यक्ति के यदि सम्यग्दृष्टि है तो प्रथम की चार और यदि मिथ्यादृष्टि है तो पाँचों क्रियाएँ होती हैं । यदि खोई हुई वस्तु वापस मिल जाय तो क्रियाएँ प्रतनु-- हलकी हो जाती हैं ।
(२) विक्रेता से यदि कोई खरीददार माल खरीद ले और सौदा पक्का करके बयाना दे दे किन्तु माल की डिलेवरी न ले तब तक विक्रेता को चार या पाँच क्रियाएँ होती हैं, खरीददार को भी चार या पाँच क्रियाएँ होती हैं लेकिन वे हलकी होती हैं । इसके पश्चात् जब खरीददार माल उठाकर ले जाता है तब खरीददार की क्रियाएँ भारी हो जाती है तथा बेचवाल की क्रियाएँ प्रतनु- -हलकी हो जाती हैं। खरीददार जब तक माल की कीमत का भुगतान नहीं करता है तब तक धन की अपेक्षा खरीददार को महती क्रिया और बेचवाल को हलकी क्रिया होती है । बेचे हुए माल की कीमत प्राप्त हो जाने के पश्चात् विक्रेता को महती, ग्राहक को हलकी क्रिया होती है ।
कायिकी क्रियापंचक आरम्भिकी क्रिया का विश्लेषण है । जब जीव अन्य जीव की किसी भी प्रकार से हिंसा करता है तब उसको आरम्भिकी क्रिया होती है । जिस जीव के आरम्भिकी क्रिया होती है उस जीव के कायिकी क्रियापंचक की प्रथमतः तीन क्रियाएँ
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