Book Title: Karma Siddhant Parichaya
Author(s): Ajit Kumar
Publisher: Ajit Kumar

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Page 9
________________ श्रीजिनाय नमः कर्म सिद्धान्त परिचय संसार के भीतर जीव अनेक रूप में दीख पड़ते हैं किसी को मनुष्य का शरीर मिला हुआ है तो कोई पशु की देह में कैद है, कोई पक्षी की सूरत में है, तो कोई कीड़े मकोड़े के जीवन में नजर आ रहा है। इतना ही नहीं किन्तु उन एक एक तरह के जीवों में और बहुत तरह के भेदभाव साफ दीख रहे हैं, अन्य जीवों को छोड़ कर हम अपनी मनुष्य जाति की ओर ही दृष्टि डाले तो नजर आता है कि कोई मनुष्य बलवान है, कोई कम. जोर है, कोई मूर्ख है कोई विद्वान है, कोई धनवान है कोई गरीब है, कोई रोगी है, कोई तन्दरुस्त है, कोई किन्हीं बातों में सुखी है और कोई कुछ बातों में दुखी है। यह सब भेदभाव क्यों है ? सब जीव एक सरीखे शरीर में ही क्यों नहीं पाये जाते ? तथा उनमें से कोई सुखी और

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