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अकलंक जैन ग्रन्थमाला के ॐ योगी सन्ध
2- सत्तास्वरूप यह ग्रन्थ म्ब०५० भागचन्द्रः! सा बनाया हुआ है। किन्त का स्वाध्याय करने योग्य अ है। मृन्य ४ जाना 100 प्रति ग्राहकों को बीन न्याय में
जैनधर्म पर लोकमान्य तिलक का भायन तथा अजेन विद्वानों का अभिमत- ।'
इम ₹क्ट में जैनधर्म का तिहानक परिचयः । भावना निक का व्याख्यान और जैनधर्म पर भार Fधा विलायती विद्वानों की मन्मनियं है। पृष्ट ? मूल्य - धोक. ५) गदा ।
३- स्थाद्वाद परिचय---- इन पुग्नक में स् मिट्टान्त को कि जैन वन का मूल जन्म है-बहन मा युकि पूर्व मनाया गया है। नृत्य-) थोक ५} मेय
४-बालविहान्त परिचय-प्रस्तुत पुग्नक । मृत धोत्र ५ मंजड़ा।
निम्न निन्दित र प्रभाशित होंग5- जैनसंघ का इतिहास - वीरों की वीरता ३-. का तत्वज्ञान ४- ईश्वर और जगन रचना।
अधापक-अकलंक ग्रंथमा
अकलंक शेल सुलतान सिटी