Book Title: Karma Siddhant Parichaya
Author(s): Ajit Kumar
Publisher: Ajit Kumar

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Page 10
________________ कोई दुखी क्यों है ? इत्यादि अनेक प्रश्न उस समय सामने आया करते हैं- जबकि कोई भी व्यक्ति संसारी जीवों के विषय में कुछ विचार करने के लिये तयार होता है। इन प्रश्नों के उत्तर में अधिकांश मनुष्य यह कह दिया करते हैं कि संसारी जीवों में परस्पर अनेक तरह के अन्तर और भेदभाव उनके भाग्य के अनुसार होते हैं, जिसका जैसा भाग्य होता है उसको वैसा ही अच्छा बुरा शरीर तथा सुख दुख आदि के सामान मिलते हैं। जिसने पहले जन्म में अच्छे शुभ काम करके अच्छा भाग्य कमाया है वह इन जन्म में भाग्यशाली सुखी होता है अच्छा शरीर पाकर आराम से दिन . विताता है और जिसने पहले भव में बुरे-पाप कार्य करके अनाग्य (बुरा भाग्य) कमाया उसको इस भव में खराब योनि, खराब शरीर तथा दुःख के सामान मिले हैं। इन ही वानों से मिलती जुलती बाते साधारण लोग भी कह दिया करते हैं कि 'जिसके भाग्य में जैसा कुछ लिखा है उसको वैसा ही नतीजा मिलता है। अब देखना यह है कि यह भाग्य, तकदीर, किस्मत, कर्म आदि अनेक शब्दों से कही जाने वाली विकट वला चीज क्या है जिसकी वजह से यह जीव विचित्र दशाओं में दीख पड़ता है । इस कर्म का विचार करने के लिये पहले इस जगत में मौजूद पदार्थों को संक्षेप से समझ लेना आवश्यक है। अतः पहले जगतमें भरे हुए पदार्थों पर कुछ प्रकाश डाला जाता है।

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