Book Title: Karma Siddhant Parichaya
Author(s): Ajit Kumar
Publisher: Ajit Kumar

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Page 11
________________ -~[३] जगत के पदार्थ . इस जगत में दो तरह के पदार्थ है-जड़ और चेतन जिन पदार्थों में जानने देखने, सुत्र दुग्ब अनुभव करने की शक्ति नहीं है वे पदार्थ जड या अजीव । और जिन में जीवन शक्ति मौजूद है, जो सुख दुख का अनुभव करते हैं, जानते देखते हैं वे चेतन पदार्थ हैं उन्हीं चेतन पदार्थों को जीव या आत्मा भी कहते हैं । अजीव पदार्थ दो तरह के होते हैं- मूर्तिक तथा अमूर्तिक । नो पदार्थ छूने, देखने, सुघने, चखने, सुनने में नहीं आ सकते वे अमतिक पदार्थ हैं जैसे आकाश । जो पदार्थ देखने, छूने. सूंघने, खाने, सुनने में आते हैं वे पदार्थ मृतिक हैं। मूर्तिक पदार्थों को जैन सिद्धान्त में पुद्गल तथा अंग्रेजी में मैटर (Jetter) शब्द से भी कहते हैं। - पुद्गल (मैटर ) दो तरह के होते हैं-परमाणु और स्कन्ध । सबसे छोटा टुकड़ा (जिसका दूसरा टुकड़ा न हो सके) परमाणु (जरी ) है। वह इतना छोटा होता है कि आंखों से यहां तक कि सुर्दबीन से भी नहीं दिखाई पड़ता। अनेक परमाणु मिलकर जो बड़े-मोटे रूप में हो जाते हैं वे स्कन्ध कहलाते हैं। स्कन्धों में भी बहुत से सूक्ष्म स्कन्ध नजर नहीं

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