Book Title: Karma Siddhant Parichaya
Author(s): Ajit Kumar
Publisher: Ajit Kumar

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Page 33
________________ -[२५]अपाता वेदनीय कर्म बांवेगा किन्तु उसमें थोड़े समय तक हलका दुख देने की शक्ति पड़ेगी। एक नौकर-पुजारी भगवान की भक्ति पूजा ऊपरी मन से करता है उसको पुण्य कर्म थोड़े समय तक हलका फल देने वाला बंधेगा जो स्वयं अपनी अन्तरंग प्रेरणा से बड़ा मन लगा कर भक्ति पूजन करता है उसका कमाया हुआ पुण्य कर्म अधिक समय तक अधिक सुखदायक फल देगा। समय की इसी सीमा (मियाद ) को 'स्थिति' और फल देने की कम अधिक शक्ति को 'अनुभाग' कहते हैं। __ कर्म फल कब देते हैं फर्म बन जाने के पीछे तत्काल ही अपना फल नहीं देने लगता किन्तु कुछ समय बीत जाने पर उदय में आता है । जैसे हम भोजन करते हैं भोजन में खाये गये दूध, चावल, रोटी, फल आदि पदार्थ पेट में पहुंचते ही रस नहीं बन जाते हैं कुछ समय तक पेट की मशीन पर वह खाया हुआ भोजन पकता है तब उस भोजन का रस, खून आदि बनता है। उसी तरह कार्माण स्कन्ध जब आत्मा के साथ सूक्ष्म शरीर के रूप में मिल जाते हैं तब कुछ समय बीत जाने पर अपने स्वभाव (तासीर-प्रकृति) के अनुसार अच्छा बुरा फल देना शुरू करते हैं। जिस कर्मकी जितनी लम्बी स्थिति (मियाद ) होती है वह कमे उसी के अनुसार कुछ समय पीछे उदय होता है जिसकी स्थिति

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