Book Title: Karma Siddhant Parichaya
Author(s): Ajit Kumar
Publisher: Ajit Kumar

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Page 19
________________ अब विचारना यह है कि जीव के स्वाभाविक गुणों पर पर्दा डाल कर जीवको पराधीन (गुलाम) बनाने वाला कौन सा पदार्थ है। संसारी जीव जिस जिस शरीर में कैद हैं क्या गुलामी का मूल कारण वह शरीर है ? इस प्रश्न का उत्तर मिलता है कि 'नहीं क्योंकि यदि ऐसा होता तो एक तो वह शरीर जीवके 'शासन (हुकूमत) में न रहता किन्तु शरीर को अधिकतर हमारी उचित अनुचित आज्ञा माननी पड़ती है हम अपने शरीर से जैसा जो कुछ अच्छा बुरा कार्य कराना चाहें कराया करते हैं, शरीर उसमें जरा भी हीला हुज्जत नहीं करता। इस कारण हम शरीर के दास नहीं बल्कि शरीर हमारा दास है। दूसरेयह शरीर भी तो किसी दूसरे निमित्तसे प्राप्त होता है। तीसरेमरते समय शरीर तो यहां पड़ा रह जाता है उसमें रहने वाले जीव को दूसरी योनि में ले जाने वाला तो कोई दूसरा ही पदार्थ हो सकता है जो कि मरण के पीछे भी संसारी जीवका पीछा नहीं छोड़ता, सदा उसके ऊपर सवार रहता है। - इस कारण यह मानना पड़ेगा कि इस स्थूल शरीर के सिवाय कोई अन्य ऐसी चीज है जो संसारी जीव के साथ सदा -रहती है और जिसके रहने से जीव के गुण पूर्ण विकसित नहीं होने पाते, जीव वात २ में पराधीन बना रहता है। . जीव को परतन्त्र बनाने वाली वह चीज अमूर्तिक तो इस लिये नहीं हो सकती कि अमूर्तिक पदार्थ इस मर्तिक शरीर

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