Book Title: Kappasuttam Vhas Vises Chunni Sahiyam Part 03
Author(s): Bhadrabahuswami, Sanghdasgani Kshamashraman, 
Publisher: Shubhabhilasha Trust

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Page 195
________________ १०३८ भासगाहाणं अकारादिकमो अहवा अभिक्खसेवी अहवा अविसिटुं चिय अहवा आयावाओ अहवा उद्दिस्स कता अहवा एक्केक्कपदा अहवा ओसहहेउं अहवा चउगुरुग च्चिय अहवा चरिमे लहुओ अहवा छुभेज्ज कोयी अहवा ज एस कप्पो अहवा जं भुक्खत्तो अहवा जंवा तं वा अहवा तत्थ अवाया अहवा तेसिं ततियं अहवा निग्गंथीओ अहवा पंचण्हं संजईण अहवा पढमे सुत्तम्मि अहवा पिंडो भणिओ अहवा बायरबोंदी अहवा बालादीयं अहवा भयसोगजुया अहवा भिक्खुस्सेयं अहवा भिक्खुस्सेवं अहवा महापदाणिं अहवा रागसहगतो अहवा लिंगविहाराओ अहवा लोइयतेण्णं अहवा वि असिट्ठम्मी अहवा वि कतो जेणं अहवा वि गुरुसमीवं अहवा वि चक्कवाले ५१२७ ४४२५ ५६८४ ४२३९ २४८५ ४५५९ २१९१ २१८९ ४७४८ ६३५३ ६००२ ४४२६ ३०३९ ५८२७ २१२६ २४०६ ३२९१ २८३७ २६८५ ३९४९ ६२५५ २४०५ २४७६ ५९४२ ३८९९ ४५३९ २७९३ २०४० ४०५५ १२५२ १३८१ अहवा वि दुग्गविसमे अहवा वि मालकारस्स अहवा वि सउवधीओ अहवा वि सो भणेज्जा अहवा सव्वो एसो अहाऽऽगतो सो उ सयम्मि देसे अहि विच्चुगविसकंडगमादीहि अहिकरण गिहत्थेहिं अहिगरणं काऊण व अहिगरणं मा होहिति अहिगरणमंतराए अहिगरणम्मि कयम्भि अहिगारो असंसत्ते अहिच्छसे जंति न ते उ दूरं अहिणा विसूइगा वा अहियस्स इमे दोसा अहिरण्णग त्थ भगवं! अहिराया तित्थयरो अहि-सावय-पच्चत्थिसु आइण्णे रतणादी आइन्नता ण चोरादी आइम्मि दोन्नि छक्का आउ ज्जोवण वणिए आउ ज्जोवण वणिए आउक्काए लहुगा आउज्जोवणमादी आउट्ट जणे मरुगाण आउट्टि गमण संसत्त गिण्हणं आउट्टिय संसत्ते आउत्तो सो भगवं आउरइण्णाई एयाई ६१८४ ३६५१ ४२३६ २००४ ६३१० ३२६० ३८३३ ५५६९ २७३२ ५५५२ २३८७ ६२७७ ५८६६ ३९२३ ३७५५ ४०७२ १९४४ ४४३३ २३६० ६३९२ ६३११ २५६० २५८७ २४१५ २६१७ २४१८ ५८९२ ५८९१ १७१५ १८१२

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