Book Title: Kappasuttam Vhas Vises Chunni Sahiyam Part 03
Author(s): Bhadrabahuswami, Sanghdasgani Kshamashraman, 
Publisher: Shubhabhilasha Trust

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Page 251
________________ १०९४ भासगाहाणं अकारादिकमो बाले वुड्ढे सेहे बाले वडढे सेहे बाले वुड्ढे सेहे बावीस लभति एए बाहाइ अंगुलीइ व बाहिं आगमणपहे बाहिं काऊण मिए बाहिं ठिय पठियस्स उ बाहिं ठिया वसभेहिं बाहिं तु वसिउकामं बाहिं दोहणवाडग बाहिमुवस्सयगमणे बाहिरखेते छिण्णे बाहिरगामे वुच्छा बाहिरमलपरिछुद्धा बाहल्ला गच्छस्स उ पढमालिय बिइए वि होइ जयणा बिइओ उवस्सयाई बिइय पदं गेलण्णे बिइयं अपहुच्चंते बिइयं ताहे पत्ता बिइयं वसहिमतिते बिइयं विहे विवित्ता बिइयं सुत्तग्गाही बिइयदिवसम्मि कम्म बिइयपइ मोय गुरुगा बिइयपए असिवाई बिइयपद गिलाणाए बिइयपदं आहारे बिइयपदं गेलन्ने बिइयपदं तत्थेवा १४८१ १६९३ ४०७५ ४७०८ ३७४६ ४५४३ २९३९ ३५७१ ४२८१ ४८३९ ३५७९ २०३६ ३५८१ १५६३ २०८१ ३५४३ बिइयपदकारणम्मि बिइयपदमणाभोगे बिइयपदमसंविग्गे बिइयपदमसंविग्गे बिइयपदमसंविग्गे बिइयपदे कालगए बिइयपदे कालगए बिइयपदे तेगिंछं बिइयपय गम्ममाणे बिइयपय झामिते वा बिइयपयमणप्पज्झे बिइयपयमणाभोगे बिइयम्मि रयणदेवय बिइयम्मि समोसरणे बिइयाउ पढम पुव्विं बिइयादेसे भिक्ख बितिय ततिएसु नियमा बितिय दवुज्झण जतणा बितियं अच्छित्तिकरो बितियं उप्पाएतुं बितियं पभुनिव्विसए बितियणिसाए पुच्छा बितियपद अपेक्खणं तू बितियपद कारणम्मि बितियपद कारणम्मि बितियपद तेण सावय बितियपदे उ गिलाणस्स बितियपदेण गिलाणस्स बितियपय कारणम्मी बितियमहसंथडे वा बितियम्मि वि दिवसम्मि ५६१४ ४३०७ ५४०१ ५४३९ ५४४८ १९६९ १९७० ४९६० ३०६१ ४६०७ ३८०१ ६१५९ २५०८ ४२९७ ५२६४ २८६८ ४०५९ ४९१० ५७२५ ५५९२ ४६४९ ४१९४ ५८८५ ३३०८ ३८१५ ५६६३ ३२१५ ५२८६ २६२२ ४६१४ ४९३३ ३१२९ ५०२७ ६३३३ ५३९० ४३८३ ५५४४ २९७१ १५२६ १४०६ १७३१ २७५६ ३२२९ ५१०० २८७२

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