Book Title: Kappasuttam Vhas Vises Chunni Sahiyam Part 03
Author(s): Bhadrabahuswami, Sanghdasgani Kshamashraman,
Publisher: Shubhabhilasha Trust
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भासगाहाणं अकारादिकमो
३१६१ ३६०५ ५७०४ ४९५७
भयसा उठेतुमणा भरहेरवएसु वासेसु भवणवई जोइसिया भवियाइरियो देसाण भाइयपुणाणियाणं भाणऽप्पमाणगहणे भाणस्स कप्पकरणं भाणस्स कप्पकरणे भायऽणुकंप परिण्णा भारेण खंधं च कडी य बाहा भारेण वेदणाए भारेण वेयणा वा भारेण वेयणाए भारो भय परितावण भारो भय परियावण भावकसिणम्मि दोसा भावम्मि उ पडिबद्धे भावम्मि उ पडिबद्धे भावम्मि ठायमाणा भावम्मि होइ वेदो भावस्स उ संबंधो भावस्स तु अतिचारो भावितकुलेसु धोवित्तु भाविय करणो तरुणो भावे उक्कोस-पणीयोहितो भावो उ अभिस्संगो भावो उ णिग्गतेहिं भावो जाव न छिज्जइ भावो देहावत्था भावोवहयसईअं भासति दुयं दुयं गच्छए
४८६५ ६४४६ ११८७ १२३४ १२१२ ४००४ ४८०७ १७०५ ५२५९ ४२२७ ५२८८ ४००३ ४३७४ ३८१३ ३९०० ३९०२ २५९२ २५९३ २६०५ २१४९ ३६८५ ५२६३ १७२७ २४२५ ३५४५ १३५३ ४२९२ ३६२३ ५६०३ १३२५ १२९९
भिंगारेण ण दिण्णा भिंदेज्ज भाणं दवियं व उज्झे भिक्ख गय सत्थ चेडी भिक्खं पि य परिहायति भिक्खयरस्सऽन्नस्स व भिक्खस्स व वसहीय व भिक्खा पयरणगहणं भिक्खादि गयाए निग्गयं भिक्खादि वियारगते भिक्खायरिया पाणग भिक्खायरिया पाणग भिक्खायरियाईया
भिक्खुगा जहिं देसे __ भिक्खुणो अतिक्कमंते भिक्खुसरिसी तु गणिणी भिक्खुस्स ततियगहणे भिक्खुस्स दोहि लहुगा भिक्खू तं सोऊण भिक्खू वसभाऽऽयरिए भिक्खूण संखडीए भिण्णं गणणाजुत्तं भिण्णं पि मासकप्पं भिण्णरहस्से व णरे भिन्नम्मि माउगंतम्मि केइ भीएण खंभकरणं भीतावासो रई धम्मे भीरू पकिच्चेवऽबला चला य भुंजसु पच्चक्खातं भुत्तस्स सतीकरणं भुत्ताभुत्तविभासा भुत्तियरदोस कुच्छिय भुत्ते भुंजंतम्मि य
४८१३ ३५४८ ४१०६ ५२७७ १३८४ १६२६ १४२३ ५४२६ २८६२ ६१११ ५८२० ५५८७ २१४१ २८६३ ५०८९ ३९८७ ६४३४ ६४८७ ३९५२ ४२२२ ५७१४ ३२२४ ६०७१ ३८३५ ५९२२ २३९२ १७४८
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