Book Title: Kappasuttam Vhas Vises Chunni Sahiyam Part 03
Author(s): Bhadrabahuswami, Sanghdasgani Kshamashraman,
Publisher: Shubhabhilasha Trust
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१०६८
भासगाहाणं अकारादिकमो
जहियं दुस्सीलजणो
२०५७ जहत्तदोसेहिं विवज्जिया जे ३५१८ जा णितिऽइंति ता अच्छवो ६३८६ जा तेयगं सरीसं
२६८४ जा दहिसरम्मि गालियगुलेण ३४७७ जा दुचरिमो त्ति ता होइ
४४९७ जा फुसइ भाणमेगो
६१४६ जा भुंजति ता वेला
१७३० जा यावि चेट्ठा इरियाइआओ ३९२५ जा वि य ट्ठियस्स चेट्ठा
४४५५ जा संजतणिद्दिट्ठा
४२०६ जा सम्मभावियाओ
१११६ जा सालंबणसेवा
६३४१ जाइ कुल रूव धण
१७९७ जाओ (जो आ) वणे वी य बहिं घरस्स ३५०२ जागरणट्ठाए तहिं
५५२३ जागरध नरा ! णिच्चं
३३८२ जागरिया धम्मीणं
३३८६ जाणं करेति एक्को
३९३८ जाणंतमजाणंता
४६५५ जाणंतमजाणंते
४६८४ जाणता माहप्पं
५०४४ जाणंता वि य इत्थिं
२२८२ जाणंति जिणा कज्जं
२३५६ जाणंति तव्विह कुले
२०९२ जाणह जेण हडो सो
४६३५ जाणामि दूमियं भे
२२२५ जाणाविए कहं कप्पो
४६६० जाधे वि य कालगया
३७४३ जायंते उ अपत्थं
१९०१
जायइ सिणेहो एवं जायण निमंतणुवस्सय जारिस दव्वे इच्छह जारिसएणऽभिसत्तो जारिसग आयरक्खा जारिसयं गेलन्नं जाव गुरूण य तुब्भ य जाव न मंडलिवेला जाव न मुक्को ता अणसणं जावंतिगाए लहुगा जावंतिया पगणिया जावइ काले वसहिं जावइया रसिणीओ जासि एसि पुणो चेव जिण सुद्ध अहालंदे जिण सुद्ध अहालंदे जिणकप्पिअभिग्गहिएसणाए जिणकप्पिएण पगयं जिणकप्पियपडिरूवी जिणकप्पियपडिरूवी जिणकप्पे तं सुत्तं जिणलिंगमप्पडिहयं जिणा बारसरूवाइं जितणिढुवायकुसला जियसत्तुनरवरिंदस्स अंगया जियसत्तू य णरवती जीवं उद्दिस्स कडं जीवा अब्भुट्टिता जीवा पुग्गल समया जीवाऽजीवसमुदओ जीवो उ भावहत्थो
५९९५ ४३५५ १९८० ६१३२ ५०४९ १९३२ १५०१ १६८२ १९०९ ३१८६ ३१८४ ५८७८ १७५७ ११५७ ११३१ १२८३ १६९२ ११७२ १३५८
५०३५
४०६२ ४८०९ ३९६५ ५५२२ ५२५५ ६१९५ १७७८ ११४० २७२५ १०९५ ४८९६
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