Book Title: Kappasuttam Vhas Vises Chunni Sahiyam Part 03
Author(s): Bhadrabahuswami, Sanghdasgani Kshamashraman, 
Publisher: Shubhabhilasha Trust

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Page 226
________________ बीयं परिसिहं जीवो पमायबहुलो जहादोसनियत्ता जुगलं गिलाणगं वा विरयस सयं जुत्तं सयं न दा जुत्तपमाणस्सऽसती हँ जुन्नेहिँ खंडिएहिं य वाणा सविगारगा य जे खेत्तिया मोति ण देंति ठागं जे व कारणा सिक्कगस्स जे व दोन्निपगता जे जह असोयवादी जे जे दोसाययणा जे ते देवेहिँ कया जे पुण उज्जयचरणा जे मज्झदेसे खलु देस गामा जे य दंसादओ पाणा जे पारंचिया वृत्ता जेवि य पुव्विं निि जे सुत्तगुणा खलु लक्खणम्मि सुत्तगुणा भणिया जेज्जेण अज्जं भज्ज झ जेण असुद्धा रसि जे खवणं करिस्सति जेण तु आया जेणऽधियं ऊणं वा जेणोगहिओ सत्थो १६५५ ३१५६ ६१९० १९४६ १९४१ ४०२१ १४६० ६३६५ ३५०६ ४८५० २८८९ ४७८९ ४८२० १८६० १९८४ ४४६१ ३०९८ ३२५७ ५९५८ ६४१० १३३३ १२२२ ५१८६ ६१४८ ६२५९ ६०९७ १७६० ४८९३ १२८८ ५५९१ ४८७१ जेणग्गहिता वइगा जेसिं एसुवएसो जेसिं चायं गणे वासो जेसु विहरंति तातो जेहिँ कया उ उवस्सय जेहिँ कया उ उवस्सय जेहिँ कया पाहुडिया जेहिं कया पाहुडिया जो इत्थं भूतत्थो जो उ उवेहं कुज्ज जो उ उवेहं कुज्जा उ जो उपर कंप जो उ महाजण पिंडेण जो उज्जिओ आसि पभू व पुव्वं जो एतं न वि जाणइ जो कप्पठितं एवं जगह न याति जो चंदणे कडुरसो जो व मोट्ठा जो जस्स उ उवसमई जो जस्स उ उवसमती जो जह व तह व लद्धं जो हि सो तत्तो जो जे अब्भथो जो जेण गुणेणऽहिओ जो जे जम्मि ठाणम्मि तो धम्म जो तं जगप्पदीवेहिं पणीयं जो पुण उभयअवत्तो जो पुण काय वतीओ १०६९ ४८६० १८३७ ५७१७ ५०१४ १४९० १४९१ १४९३ १४९२ ५२२८ १९८३ ५०३७ ४०५२ १३२० ३६०० ३६१५ ३२४४ ६४३८ ३२४६ ५९१५ ४३५६ २६९८ ५७३३ ६२०० ५५३९ १३२९ १७९८ ५४९१ ६३०६ ३६४१ ५४८४ ४४५२

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