Book Title: Kappasuttam Vhas Vises Chunni Sahiyam Part 03
Author(s): Bhadrabahuswami, Sanghdasgani Kshamashraman, 
Publisher: Shubhabhilasha Trust

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Page 242
________________ बीयं परिसिटुं १०८५ नेहामु त्ति य दोसा नो कप्पइ जागरिया नो कप्पति व अभिन्नं नोल्लेऊण ण सक्का नोसप्पिणिउस्सप्पे पंकपणएसु नियमा पंको खलु चिक्खल्लो पंच उ मासा पक्खे पंच परूवेऊणं पंच परूवेतूणं पंच सय भोइ अगणी पंचंगुल पत्तेयं पंचण्हं एगयरे पंचण्हं एगयरे पंचण्हं गहणेणं पंचण्हं वण्णाणं पंचण्हं वत्थाणं पंचम छस्सत्तमिया पंचमगम्मि वि एवं पंचमहव्वयतुंगं पंचमियाएँ असंखड पंचमे अणेसणादी पंचविहम्मि परूविते पंचविहम्मि वि कसिणे पंचविहे ववहारे पंचसयदाणगहणे पंचहिं अग्गहो भत्ते पंचायामो धम्मो पंचूण तिभागद्धे पंचूणे दो मासे पंचेगतरे गीए १५६१ २४२७ ३३२० ३७०१ १४१७ ६१८६ ६१८५ ५७५८ ३६६४ ५६२१ २५०७ ३८७५ ५४५२ ५४६७ ५६२० ३८८७ ३६७० ५८०७ २४७४ ४५९१ १५०८ ३०४७ ४७८७ ३८६७ ६४५३ १९४६ ६४६० ६४०० ५८१३ ४२९५ ५४६८ पंडए वाइए कीवे पंडादी पडिकुट्ठा पंता उ असंपत्तीइ पंता व णं छलिज्जा पंतो दट्टण तगं पंतोवहिम्मि लुद्धो पंथ च मास वासं पंथ सहाय समत्थो पंथम्मि अपंथम्मि व पंथच्चारे उदए पंथे धम्मकहिस्सा पइदिणमलब्भमाणे पउणम्मि य पच्छित्तं पउमसरो वियरगो वा पउमुप्पले अकुसलं पउरण्ण पाणगमणे पउरन्नपाण पढमा पक्कणकुले वसंतो पक्खीव पत्तसहिओ पगडीणं अन्नासऽवि पगती पेलवसत्ता पगयं उवस्सएहिं पगयम्मि पण्णवेत्ता पच्चंत तावसीओ पच्चंतमिलक्खेसुं पच्चक्खेण परोक्खं पच्चोनियत्तपुट्ठा पच्छन्न असति निण्हग पच्छन्न पुव्वभणियं पच्छन्नासति बहिया पच्छाकडाइ जयणा ५१६६ ५१९७ २४९७ ५७०३ ४१८५ ३०१४ १४७० ५३९३ ५२५० १४७३ ४७२४ २८७३ १९७१ २२७८ ४०२५ ४८२७ १५०७ ४५२३ १३७४ ११९९ २८१८ ३४०२ ६२५२ १४५६ २००५ १७७० ४७५९ ४८१८ ४८२४ ४८०४ १९४५

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