Book Title: Kappasuttam Vhas Vises Chunni Sahiyam Part 03
Author(s): Bhadrabahuswami, Sanghdasgani Kshamashraman, 
Publisher: Shubhabhilasha Trust

View full book text
Previous | Next

Page 244
________________ बीयं परिसिटुं १०८७ ५०६१ ४६१७ ४२३७ ४२७८ २५१९ ५७१० १३३५ ५२८३ ४९३१ ५८०६ १५२३ ४८२२ ५९१९ २४७५ २५१८ पडिसेवणाए एवं पडिसेवणाए एवं पडिसेह अजयणाए पडिसेहगस्स लहुगा पडिसेहण णिच्छुभणं पडिसेहियवच्चंते पडिसेहे अलंभे वा पडिसेहे पडिसेधो पडिसेहेण व लद्धो पडिसेहो जम्मि पदे पडिहाररूवी ! भण रायरूविं पडिहारिए पवेसो पडुपन्नऽणागते वा पढम चउत्था पिंडो पढम बिइयाए तम्हा पढम बिति ततिय पंचम पढमं तु भंडसाला पढमं राइ ठविते पढम विगिचणट्ठा पढमग भंगे गहणं पढमग भंगे वज्जो पढमचउत्थवयाणं पढमतइयमुक्काणं पढमदिणे सग्गामे पढमदिणे समणुण्णा पढमदिवसम्मि कम्म पढमबिइएसु चरिमं पढमबिइएसु पडिवज्जमाण पढमबिइयाउरस्सा पढमबिइयातुरो वा पढमबितिए दिया वी २५२४ २५४१ १९४३ ५३७७ ३०८९ ४६६२ २८९९ ५५६८ ४६२२ २१७९ ५०४७ ३७७३ ५८५२ ३६३५ ४३८१ ४६९८ ३४४८ १८९६ ६१२१ १८६९ ६३८१ २४२६ २७७४ ४६६७ १५५७ १४०५ ४९८३ १६३७ २८७५ २१८१ ५८५१ पढमबितिएसु णवमं पढमम्मि य चउलहुगा पढमम्मि समोसरणे पढमम्मि समोसरणे पढमस्स तइयठाणे पढमस्स होइ मूलं पढमा उवस्सयम्मी पढमाए गिण्हितूणं पढमाए पोरिसीए पढमाए बितियाए पढमाण नत्थि पढमा पढमासइ अमणुण्णेतराण पढमिल्लुगततियाणं पढमिल्लुगम्मि ठाणे पढमिल्लुगम्मि ठाणे पढमिल्लुगम्मि ठाणे पढमिल्लुगम्मि ठाणे पढमिल्लुगम्मि तवऽरिह पढमिल्लुगसंघयणा पढमे गिलाणकारण पढमे बितिए ततिए पढमे भंगे चरिमं पढमे वा बीये वा पढमे सोयइ वेगे पढमेत्थ पडहछेदं पढमो जावज्जीवं पण दस पनरस वीसा पणगं च भिण्णमासो पणगं च भिण्णमासो पणगं च भिन्नमासो पणगं लहुओ लहुगा २५३७ ३६१० २५२० १३८६ २४२० ३५२८ ५००७ १४१८ २२५९ ११०९ १८३३ २४०८ ५३७५ ५८४३ ४४४४ ३४६३

Loading...

Page Navigation
1 ... 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314