Book Title: Kappasuttam Vhas Vises Chunni Sahiyam Part 03
Author(s): Bhadrabahuswami, Sanghdasgani Kshamashraman, 
Publisher: Shubhabhilasha Trust

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Page 224
________________ बीयं परिसिहं जत्थुप्पज्जइ दोसो जध अपरिकम्मलंभे जध उ कडं चरिमाणं जध वा णिसेगमादी जधियं पुण ते दोसा जम्मणणिक्खमणेसु य जम्मणनिक्खमणेसु य म्णसंत जम्हा तु हत्थमत्तेहि जम्हा धारइ सिज्जं जम्हा पढमे मूलं हा पढमूलं जहा पढमूलं हाय एवमादी जय ओदणो अधोए जलजा उ असंपाती जलथल पहेसु रयणाणुवज्जणं जलपट्टणं च थलपट्टणं जल्लमलपंकियाणं वि जव राय दीपो जवमज्झ मुरियवंसे जस्सेव पभावुम्मिल्लिताइँ जह अत्तट्ठा कम्मं जह अम्हे तह अन्ने जह अहगं तहा ते जह एस एत्थ वुड्ढी जह कारणंपि पुरिसे जह कारणम्मि पुण्णे जह कारणे अणहारो जह कारणे तद्दिवसं जह कारणे निल्लोमं ५०११ ४०५६ ४२१० ५१९६ ३२१७ १२२७ ३२६६ १४१५ १८६४ ३५२४ २४८१ २५२३ २५४० ४१५८ १७३५ २४०२ ५८५७ १०९० २५९९ ११५५ ३२७८ ३६४२ ४२०७ १५१७ ५४९५ १७०१ २५७७ ५६५५ ६०११ ६०३० ३८४१ जह कोइ अमयरुक्खो जह गुत्तस्सिरिया जह चेव अगारीणं जह चेव य इत्थीसुं जह चेव य पडिबंधो जह चेव य पडिसेहे जह चेव य पुरिसेसुं जह जह करेसि नेहं जह जह सुयमोगाहइ जह जाइरूवधातुं जह हाउत्तिण गओ जह जह पढमपाउसम्मिं जह फुंफुमा हसहसेइ जह बुद्धी चिरजीवी जह भणियं चउत्थस्स य जह भमरमहुयरिगणा जह वा सहीणरयणे जह सूरस्स भावं जह सेज्जाऽणाहारो जह सो वीरणसढओ जह हासखेड्डआगारविब्भमा जह हेमो उ कुमरो जहा जहा अप्परो से जोगो जहिँ एरिसो आहारो जहिं अप्परा दोसा जहिं गुरुगा तहिं लहुगा जहिं नत्थि सारणा वारणा य हि सणदोसा जहियं च अगारिजणो जहियंत अणाययणा १०६७ ६०९२ ४४५० २२९४ २५७६ २६२९ ६१६१ २५७२ २२६९ ११६७ ५६८६ ११४७ ४४३४ ५१५५ २०९९ ४३४३ ५८४५ १८७३ २१५१ ११३६ २९६९ ४२३० २५४३ ५१५३ ३९२६ ६०५६ २५४९ ३८२५ ४४६४ ५४४१ २०७२ ५९२१

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