Book Title: Kappasuttam Vhas Vises Chunni Sahiyam Part 03
Author(s): Bhadrabahuswami, Sanghdasgani Kshamashraman,
Publisher: Shubhabhilasha Trust
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बीयं परिसिटुं
१०७९
दिस अवरदक्खिणा दक्खिणा दिसिमूढो पुव्वाऽवर दीणकुलणेहि जायति दीवा अन्नो दीवो दीसति य पाडिरूवं दीहइयणे गमणं दीहाइमाईसु उ विज्जबंधं दीहे ओसहभावित दुओणयं अधाजातं दुक्खं च भुंजंति सति ट्ठितेसु दुक्खं ठिओ व निज्जइ दुक्खं विसुयावेउं दुक्खेहि भत्थिताणं दुगसत्तगकिइकम्मस्स दुगुणो चतुग्गुणो वा दुग्गट्ठिए वीरअहिट्ठिए वा दुग्गूढाणं छन्नंगदसणे दुग्घासे खीरवती दुचिरमसुत्ते वुत्तं दुज्जणवज्जा साला दुढे मूढे वुग्गाहिए य दुण्णि वि विसीयमाणे दुण्ह वि तेसिं गहणं दुण्हऽट्ठाए दुण्ह वि दण्हं जओ एगस्सा दुन्नि तिहत्थायामा दपुडादि अद्धखल्ला दुप्पडिलेहियदूसे दुप्पडिलेहियमादिसु दुप्पभिई उ अगम्मा दुप्पभिति पिता पुत्ता
५५०५ ५२१६ ६१४३ २११२ ६१५२ ५९९० ५६८१ ५९८७ ४४७० ३४९२ ४३९२ २०७४ ६४०४ ४४६९ ३९८१ ४८६४ २५९६ ४३४६ ६०६१
दुब्बलपुच्छगयरे दुब्भूइमादीसु उ कारणेसुं दुयमादी सामण्णे दुरतिक्कम खु विधियं दुरुहंत ओरुभंते दुल्लभदव्वं व सिया दुल्लभदव्वे देसे दुल्लभवत्थे व सिया दुविकप्पं पज्जाए दुविधाओ भावणाओ दुविधो उ पंडओ खलु दुविधो उ परिच्चाओ दुविधो य मासकप्पो दुविधो य होइ दुट्ठो दुविधो होति अचेलो दुवियड्ढबुद्धिमलण दुविह चउव्विह छव्विह दुविहं च फरुसवयणं दविहं च भावकम्म दुविहं च भावकिसणं दुविहं च होइ वत्थं दुविहं तु दव्वकसिणं दुविहं पि वेयणं ते दुविहपमाणतिरेगे दुविहम्मि भेरवम्मि दुविहा णायमणाया दविहा य होइ वुड्ढी दुविहाऽवाता उ विहे दुविहाए वि चउगुरू दुविहे किइकम्मम्मि दुविहे गेलण्णम्मिं
२२३८ ४१८३ ४३११ ४१३६ २६४४ ३५५३ ६२५१ ४१६९ ४८८५ १२९१ ५१४९ ५२०८ ६४२९ ४९८६ ६३६३ ४३९६ ३५३२ ६०९९ ४८९८ ३८८६ २७९४ ३८८१ १६२९ २३६६ ३१३५ ४१३४ ५८१९ ३१३९ ३१४४ ४५४१
२६७५
५२१३ ५४५६ ३९६० ५४९३ ४२४९
४०९०
३८४९
३८४३ ५७६३ ३२११ ३५५८
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