Book Title: Kappasuttam Vhas Vises Chunni Sahiyam Part 03
Author(s): Bhadrabahuswami, Sanghdasgani Kshamashraman,
Publisher: Shubhabhilasha Trust
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बीयं परिसिटुं
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चाउम्मासुक्कोसे चाउम्मासुक्कोसे चाउल उण्होदग तुयरे चाउस्सालघरेसु व चारभड घोड मिंठा चारिय चोराभिमरा चारिय समुदाणट्ठा चारो त्ति अइपसंगा चिंतंतो वतिगादी चिंता य दट्ठमिच्छइ चिंताइ दुटुमिच्छइ चिंतेति वादसत्थे चिंधट्ठा उवगरणं चिक्खल्ल वास असिवादिएसु चिट्ठण निसीयणे या चिट्ठित्त णिसीइत्ता चिरपाहुणतो भगिणिं चुण्णाइविंटलकए चेइय आहाकम्म चेइय कडमेगट्ठ चेइयघरुवस्सए वा चेइयदुम पेढ छंदग चेइयपूया रायानिमंतणं चेयणमचेयणं वा चेलटे पुव्व भणिते चेलेहि विणा दोसं चोअग जिणगच्छम्मि चोएइ धरिज्जंते चोएइ रागदोसे चोदग ! तं चेव दिणं चोदगवयणं अ
३८८८ ६४३१ ४०३७ ३२९९ २०६६ ६३९३ ४६९३ २७५९ ५३६४ २२५८ ३४९७ ५६९७ ५५३६ ४२९१ २३९९ ३६८८ ४५७९ २२१९ १७७३ ३६५६ ५५४८ ११८० १७९० ६२२९ ४१५१ ४१४९ १७६८
चोद्दसग पण्णवीसो चोयग ! एताए च्चिय चोयग ! गुरुपडिसिद्धे चोयग ! दुविहा असई चोयग पुच्छा दोसा चोयगपुच्छा गमणे चोयगवयणं दीहं चोयण कुविय सहम्मिणि चोयावेइ य गुरुणा चोरु त्ति कडुय दुब्बोडितो छ च्चेव य पत्थारा छंदिय गहिय गुरूणं छंदियसयंगयाण व छक्काय गहणकड्ढण छक्काय चउलहुया छक्कायाण विराहण छक्कायाण विराहण छक्कायाण विराहण छक्कायाण विराहण छक्कायाण विराहण छक्कायाण विराहण छक्कायाण विराहण छक्कायाण विराहण छगणादी ओलित्ता छच्चेव अवत्तव्वा छटुं च चउत्थं वा छटुं च चउत्थं वा छट्ठाणविरहियं वा छट्ठाणा जा नियगो छट्ठो य सत्तमो या छण्हं जीवनिकायाणं
४०७९ ४०५४ २८१३ ४०५१ ४३६९ १९१४ १४८७ ४७४७ ५४५५ ३३५० ६१३३ ५१५८ २८५६ २७७० २७७१ २७३६ २९२५ ३०५६ ३६९८ ४१०७ ६०५४ ६२०७ ६३२९ ३३९४ ६०६३ ६०४४ ६२३८ ५४८७ ५४८८ ४९३५ ६४१७
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