Book Title: Kappasuttam Vhas Vises Chunni Sahiyam Part 03
Author(s): Bhadrabahuswami, Sanghdasgani Kshamashraman, 
Publisher: Shubhabhilasha Trust

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Page 216
________________ बीयं परिसिटुं १०५९ १५२२ १८५० ४३०२ २९४८ ४१६७ कमओ २६०१ ६४७५ गंतूण गुरुसमीवं गंतूण पडिनियत्तो गंतूण पुच्छिऊण य गंतूण य पन्नवणा गंधड्ढ अपरिभुत्ते गंभीर महुर फुड विसयगाहओ गएहिं छहिँ मासेहिं गएहिं छहिं मासेहिं गच्छ परिरक्खणट्ठा गच्छइ वियारभूमाइ गच्छगय निग्गए वा गच्छगहणेण गच्छो गच्छम्मि उ एस विही गच्छम्मि उ पट्ठविए गच्छम्मि एस कप्पो गच्छम्मि णियमकज्जं गच्छम्मि पिता पुत्ता गच्छम्मि य निम्माया गच्छसि ण ताव गच्छं गच्छा अणिग्गयस्सा गच्छे जिणकप्पम्मि य गच्छे सबाल वुड्ढे गच्छो य दोन्नि मासे गड्डा कुडंग गहणे गण गोट्ठिमादि भोज्जा गणओ तिन्नेव गणा गणचिंतगस्स एत्तो गणणाए पमाणेण य गणधर एव महिड्डि गणनिक्खेवित्तिरिओ गणमाणओ जहन्ना गणहर आहार अणुत्तरा गणि! वायग ! जिट्ठज्ज ! त्ति गणि आयरिए सपदं गणि आयारिए सपदं गणि गणहरं ठवित्ता गणि वायए बहुस्सए गणिणिअकहणे गुरुगा गणिणिसरिसो उ थेरो गणोवहिपमाणाई गति भास वत्थ हत्थे गती भवे पच्चवलोइयं च गमणं जो जुत्तगती गमणाऽऽगमणे गहणे गमणाऽगमण वियारे गमणे दूरे संकिय गम्मति कारणजाए गव्वो अवाउडत्तं गव्वो णिम्मद्दवता गहणं च गोम्मिएहिं गहणं च संजयस्सा गहणं तु अहागडए गहणे चिट्ठ णिसीयण गहिए भिक्खे भोत्तुं गहिए व अगहिते वा गहिओ असो वराओ गहितमणाभोएणं गहियं च णेहिं धण्णं गहियं च तेहिं उदगं गहियं च महाघोसं तहियं गहियम्मि य जा जयणा गहियाऽऽउहप्पहरणा ११९७ ४४८९ २१४३ ५८३१ १३६७ ६०९० २०८४ २४११ ६४५६ ५१४६ ५१४५ ३०७८ ५८६९ ६४२४ ३६८४ ३७२१ ६४७४ ४५४२ १२६५ ५६८९ २८७० १६५६ ५७८२ १५८३ ४५३४ ५२५१ ६४८१ ६०८४ ५७६२ २१०९ ४२९३ ५७६८ २१९७ ३६४९ १४३५ ३९८८ ४००२ ४९८२ १२८५ १४४३ ५९६६ ३८५६ ३९०१ ५१५७ २३७० ३८०८ १६७१ ४२६१ २२८१ ६०५७ ३३५८ ३४२७ ६०९१ ३४१३

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