Book Title: Kappasuttam Vhas Vises Chunni Sahiyam Part 03
Author(s): Bhadrabahuswami, Sanghdasgani Kshamashraman,
Publisher: Shubhabhilasha Trust
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१०४६
भासगाहाणं अकारादिकमो
३०६५
उल्लत्तिया भो ! मम किं करेसी ? । ३२५२ उल्लोम लहू दिय णिसि ३५७८ उल्लोमाऽणुण्णवणा
३५७७ उवएसो संघाडग
२९९२ उवएसो संघाडग
२९९३ उवएसो सारणा चेव
१२६६ उवओगं हेढुवरिं
२३६१ उवगरण पुव्वभणियं उवगरणं चिय पगयं
३६५९ उवगरणगेण्हणे भारवेदणा ३०५७ उवगरणमहाजाते
५५३७ उवगरणे पडिलेहा
३४३४ उवगरणे पडिलेहा
३४६२ उवगरणे हत्थम्मि व
४४७९ उवचरति को णऽतिण्णो
१८७६ उवचियमंसा वतियानिवासिणो
४८८० उवठ्ठावितो सिय ती
५१९३ उवठावियस्स गहणं
४३५८ उवदेस अणुवदेसा
५८२५ उवयंति डहरगामं
५६१२ उवरिं आयरियाणं
५५३४ उवरिं कहेसि हिट्ठा
४३६१ उवरिं तु अंगुलीओ
३८५० उवरिं पंचमपुण्णे
४३०० उवरोह भया कीरइ
४७९५ उवलक्खिया य धण्णा
३३७० उवलजलेण तु पुव्वं
५६४७ उवसंतो अणुवसंतं
२७१८ उवसंतो वि समाणो
५०१३ उवसंतो सेणावइ
३०२५ उवसंपज्ज गिलाणे
४३१५
उवसंपज्ज गिलाणे उवसंपज्ज गिलाणो उवसंपज्ज थिरत्तं उवसग पडिसग सेज्जा उवसमणट्ठ पदुढे उवसामिओ नरिंदो उवसामियो गिहत्थो उवस्सए उवहि ठवेतुं उवस्सए एरिसए ठियाणं उवस्सए य संथारे उवस्सग गणियविभाइय उवस्सय कुले निवेसण उवस्सय निवेसण साही उवस्सय निवेसण साही उवहतभावं दव्वं उवहय उवकरणम्मि उवहाण तूलि आलिंगणी उवहि सरीरमलाघव उवहिम्मि पडगसाडग उवहिस्स आसिआवण उवेहऽप्पत्तिय परितावण उवेहोभासण करणे उवेहोभासण ठवणे उवेहोभासण परितावण उव्वत्तखेलसंथारजग्गणे उव्वत्तण परियत्तण उव्वत्तणमप्पत्ते उव्वत्तेति गिलाणं उव्वरए वलभीइ वा उव्वरगस्स उ असती उव्वरगस्स उ असती
४३९९ ४३१७ १२४१ ३२९५ ३५५४ ३९०३ ५५८० ५०९१ ३४८८ ३७२२ ५३५१ ५०१२ १९९६ ५५४२ ५२३६ ५१५४ ३८२४ ३५४६ १९६६ ५०६४ १९८४ १९८७ १९८६ १९८५ १८८६ ३७८२ ५३६७ ६३३५ २६४५ १९०५ ६२१२
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